देश

गुजरात दंगों में SIT रिपोर्ट को SC ने सही माना, जाकिया की अर्जी खारिज

नई दिल्ली
 गुजरात दंगे मामले में एसआईटी द्वारा तत्कालीन सीएम रहे नरेंद्र मोदी और अन्य को क्लीन चिट दिए जाने खिलाफ जाकिया जाफरी(Zakia Jafri) की अपील पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया की अर्जी खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जाकिया की अर्जी में मेरिट नही है। इससे पहले एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि 2002 में उन्होंने (एसआईटी) जो दंगे की जांच की थी उस पर किसी ने भी उंगली नहीं उठाई सिर्फ जाकिया जाफरी ने अर्जी दाखिल कर व्यापक साजिश का आरोप लगाया है।

जाकिया जाफरी के पति व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी दंगे के दौरान मारे गए थे। जाकिया ने एसआईटी द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद 9 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुजरात हाई कोर्ट ने पांच अक्टूबर 2017 को जाकिया की अर्जी खारिज कर दी थी। जाकिया ने एसआईटी के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी वहां से अर्जी खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

एसआईटी के खिलाफ जाकिया की दलील
जाकिया की ओर से कपिल सिब्बल ने मामले में व्यापक साजिश का आरोप लगाया। सिब्बल ने दलील दी कि एसआईटी जांच को हेड करने वाले अधिकारी आरके राघवन को बाद में हाई कमिश्नर ( उच्चायुक्त) बनाया गया। उन्होंने दलील के दौरान आरोप लगाया कि जिनका भी सहयोग था उन्हें बाद में उच्च पद दिए गए। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि आरके राघवन सीबीआई डायरेक्टर रह चुके हैं वह एसआईटी के हेड थे उन्हें बाद में अगस्त 2017 में साइप्रस का उच्चायुक्त बनाया गया। इसी तरह अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर पीसी पांडेय को बाद में गुजरात का डीजीपी बनाया गया। इस मामले की छानबीन में एसआईटी ने काफी खामियां की है और अहम साक्ष्य को नजरअंदाज किया और सही तरह से मामले की छानबीन नहीं की। दरअसल एसआईटी सिर्फ बैठी रही थी। एसआईटी का जो निष्कर्ष है वह मुख्य तथ्यों से परे है। सिब्बल ने दलील देते हुुए कहा कि संप्रयादिक हिंसा ज्वालामुखी के लावा की तरह है जो धरती पर असर बुरा असर छोड़ती है। सिब्बल ने कहा कि मेरी चिंता भविष्य के लिए है। संप्रदायिक हिंसा ज्वालामुखी की लावा की तरह है जो धरती पर जब आता है तो उसे भारी नुकसान पहुंचाता है और बुरा असर डालता है। सिब्बल दलील के दौरान भावुक भी हुए और कहा कि बंटवारे के दौरान उन्होंने अपने मैटरनल पैरेंट्स को खोया है। मैं खुद विक्टिम हूं। सिब्बल ने कहा कि वह किसी एक या दूसरे को दोषी नहीं ठहरा रहे हैं, लेकिन विश्व भर को एक संदेश दिया जाना चाहिए कि हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।

एसआईटी की दलील
एसआईटी ने कहा था कि इस मामले में गहन छानबीन हुई और मामले में किसी को बचाया नहीं गया। सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी की ओर से मुकुल रोहतगी पेश हुए और उन्होंने दलील दी थी कि किसी को नहीं बचाया गया और पूरी छानबीन गहन तरीके से हुई है। छानबीन पूरी दक्षता से की गई। दंगे के दौरान मारे गए एहसास जाफरी की पत्नी का आरोप है कि इस मामले में व्यापक साजिश की गई थी। एसआईटी की ओर से मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि छानबीन गहन तरीके से की गई और कुल 275 लोगों का परीक्षण हुआ था और ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला जिससे कि इस मामले में व्यापक साजिश की बात सामने आई हो जैसा कि जाकिया जाफरी का आरोप है। मुकुल रोहतगी ने एसआईटी की ओर से दलील पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि यह कहना कतई सही नहीं होगा कि एसआईटी ने अपना काम नहीं किया। राज्य अथॉरिटी ने समय पर कदम नहीं उठाया, इस आरोप पर रोहतगी ने जवाब देते हुए कहा कि हिंसा 28 फरवरी को शुरू हुई थी और उसी दिन तत्कालीन सीएम ने मीटिंग बुलाई और फैसला लिया गया कि आर्मी को बुलाया जाए। एसआईटी ने किसी को भी संरक्षण नहीं किया। एसआईटी ने कहा था कि गुजरात दंगे में व्यापक साजिश का कोई साक्ष्य नहीं है। एसआईटी ने दलील दी कि दंगे को राज्य द्वारा प्रायोजित बताने का याची द्वारा जो दावा किया जा रहा है, वह दुर्भावना से प्रेरित है। एसआईटी ने कहा कि राज्य प्रायोजित बताने के पीछे मकसद, मामले को हमेशा गर्म रखना है।

गुजरात सरकार की दलील
गुजरात सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि जाकिया जाफरी के नाम पर सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ गुजरात दंगे के मामले को गर्म रखना चाहती हैं। गुजरात सरकार ने कहा था कि यह प्रयास न्याय का मजाक होगा। गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में जाकिया जाफरी के अलावा दूसरी याचिकाकाकर्ता सीतलवाड़ हैं और इसमें न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग हो रहा है। इस मामले में सुनवाई हो चुकी है और मेरिट के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया गया था या फिर वे बरी किए जा चुके हैं। अब जाकिया के नाम पर तीस्ता इस मामले को गर्म रखना चाहती हैं और अब जांच के निर्देश की गुहार लगाई है। मेरे हिसाब से यह सब न्याय का महज मजाक है। इस तरह की याचिकाओं को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Herkules zmieta hadanku za 11 sekúnd: nájdite zrkadlové číslo IQ Test: Nájdite 3 rozdiely Nezvyčajná hádanka, ktorá vás vyrazí dych - musíte nájsť 10 Dokážete nájsť chybu za 5 Aký je rozdiel medzi dvoma mužmi Hádanka pre tých, ktorí majú výborný Len ľudia s vysokým IQ nájdu Kde je tvar skrytá za 22 sekúnd, ju uvidí