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पहले आई गर्मी बढ़ा सकती है जल संकट, जानें किस नदी में कितान पानी

 नई दिल्ली।
 
इस साल अप्रैल की शुरुआत से ही पड़ रही तेज गर्मी का सितम अगर ऐसी ही जारी रहा तो मई-जून में जल संकट बढ़ा सकती है। पानी से लबालब देश की अधिकांश प्रमुख नदियों और बांधों से जल्दी पानी छोड़ना पड़ सकता है। केंद्रीय जल आयोग द्वारा बीते 7 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में जारी आंकड़ों के अनुसार, फिलहाल गंगा, सिंधु, नर्मदा, तापी, कच्छ की नदियों, गोदावरी, कृष्णा, महानदी, कावेरी नदियों में औसत से ज्यादा पानी है। स्वर्ण रेखा व माही में लगभग सामान्य पानी है, लेकिन साबरमती में पानी की कमी है। आयोग जल शक्ति मंत्रालय के तहत काम करता है। यह देश की प्रमुख नदियों और बांधों की निगरानी करता है। इसमें पांच क्षेत्रों के 140 बांधों की सतत निगरानी की जाती है। हर सप्ताह उसकी रिपोर्ट अद्यतन की जाती है।

निगरानी वाले 140 में 85 बांधों में पर्याप्त पानी
निगरानी वाले 140 प्रमुख बांधों में 85 बांधों में अभी बीते साल की इसी अवधि की तुलना में ज्यादा पानी है और 101 बांध ऐसे हैं जिनमें बीते दस साल के औसत से ज्यादा पानी है। दो ही बांध ऐसे हैं जिनमें 20 फीसद तक पानी की कमी दर्ज की गई है। 12 बांध ऐसे हैं जिनमें बीते साल की इसी अवधि की तुलना में 50 फीसद तक पानी कम हुआ है। इन 140 बांधों में 45 बांध ऐसे है जो जल विद्युत उत्पादन भी करते हैं और पानी घटता है तो वह भी प्रभावित होता है।
 
उत्तर प्रदेश व गुजरात के बांधों में घटा पानी
राज्यवार आंकड़ों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, त्रिपुरा, नागालैंड, आंध्र प्रदेष व आंध्र व तेलंगाना के दो संयुक्त बांधों बांधों में पिछली बार की इसी अवधि की तुलना में पानी घटा है। हालांकि हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडीशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु में बीते साल की इसी अवधि की तुलना में ज्यादा पानी संग्रहित है, जबकि छत्तीसगढ़ में पानी संग्रहण की स्थिति लगभग बराबर है।

मार्च में उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत एक दर्जन क्षेत्रों में नहीं हुई बारिश
दरअसल मार्च महीने में बारिश कम या न होने से गरमी तेजी से बढ़ी है और बांधों न नदियों में जलस्तर पर भी असर पड़ा है। एक मार्च से छह अप्रैल के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, गुजरात, सौराष्ट्र. कच्छ, विदर्भ क्षेत्र में बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है। अन्य क्षेत्रों में भी -27 फीसद से लेकर -99 फीसद तक वारिश में कमी दर्ज की गई है।

 

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