भोपाल। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा है कि बच्चों का जीवन, समग्र विकास और उनकी आरोग्यता, समर्थ, सक्षम और समृद्ध राष्ट्र निर्माण का महत्वपूर्ण पहलु है। हर बच्चा स्वस्थ हो, शिक्षा प्राप्त करें, विकास पथ पर निरंतर आगे बढ़ें, यह किसी एक विभाग, संस्था अथवा समूह मात्र की जिम्मेदारी नहीं, हर नागरिक का दायित्व और विकास सबसे बड़ी जरूरत है। राज्यपाल शुक्रवार को मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी के लघु सभागार में आयोजित बाल पोषण अधिकार कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। समारोह का केंद्रीय विषय ’’बाल पोषण अधिकार’’ था।
बाल पोषण के कार्य नई दृष्टि के साथ करें-
राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि समाज के आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक दृष्टि से पिछड़े, वंचित वर्गों में प्रचलित भ्रामक मान्यताओं को दूर करने और बाल पोषण में आहार, स्तनपान के महत्व के प्रति जन जागृति और बाल पोषण के कार्य नई दृष्टि और कोण के साथ किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा है कि शोध और अनुसंधान में यह पाया गया है कि व्यक्ति के जीवन निर्माण के पहले एक हजार दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में पोषण आहार, पारिवारिक सहायता और देखभाल से बच्चों के अमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व में संजीवनी योजना के द्वारा प्राथमिक शाला के बच्चों को दूध उपलब्ध कराकर पोषण के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि 3 महीने के दौरान बच्चों के पालकों ने उनके स्वास्थ्य में बहुत सुधार पाया। बाल पोषण के लिए छोटे-छोटे स्तर पर किए गए प्रयासों से बड़े बदलाव हो सकते हैं। जरूरत सरकार, समाज और पालकों की सामूहिक जिम्मेदारी की है, ताकि बच्चों की उचित देखभाल, हिफाजत हो, उनका समग्र विकास हो। उन्होंने आयोग से सिकल सेल रोग उन्मूलन के प्रति जनजागृति के प्रयासों में सहयोग के लिए भी कहा। प्रशासन अकादमी, भोपाल के लघु सभागार में सम्पन्न समारोह में इस मौके पर आयोग द्वारा प्रकाशित ’’बाल पोषण अधिकार’’ शीर्षक पुस्तिका का अवलोकन भी अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने की।
स्वस्थ, सशक्त समाज निर्माण प्रयासों में कुपोषण बड़ी बाधा: नरेंद्र कुमार जैन
अध्यक्षीय उद्बोधन में आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि स्वस्थ, सशक्त समाज निर्माण प्रयासों में कुपोषण बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि बाल पोषण के लिए मां के गर्भ के समय से ही प्रयास किए जाना जरूरी है। इसके लिए पोषण प्रयासों के साथ ही आहार संस्कारों का विकास जरूरी है। उन्होंने कहा कि माता और उसके बच्चे को पोषणयुक्त आहार देने की यह सद्भावना सिर्फ हमारे आहार व्यवहारों में ही नहीं, वरन् हमारे संस्कारों में ही होनी चाहिए। हम उस समृद्ध भारतीय संस्कृति के संवाहक हैं, जो हमें माता और उसके गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा, उसके पोषण, उसकी समुचित देखभाल और दोनों को सम्बल देना सिखाती है। उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य आज के बच्चे ही हैं। अतः उनके पोषण पर ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। पोषणयुक्त आहार ही बच्चों के सर्वांगीण विकास की आधारशिला है। इसलिये उन्हें पोषणयुक्त आहार मिले, वे फूलंे-फलें और एक सशक्त समाज के निर्माण में अपना योगदान दें, यह हम सबको मिलकर सुनिश्चित करना पडेगा। उन्होंने स्थापना से लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा मानव अधिकारों की संरक्षा की दिशा में अबतक किये गये प्रयासों, नवाचारों एवं अन्य गतिविधियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
ये रहे विशेष रूप से मौजूद-
सदस्य सरबजीत सिंह ने दिया स्वागत भाषण-
कार्यक्रम के आरंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए स्वागत भाषण में आयोग के सदस्य सरबजीत सिंह ने कहा कि पोषण का आशय सिर्फ सामान्य आहार से नहीं होता, वरन् ऐसा भोजन, जिसमें मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और संपूर्ण विकास के लिए जरूरी तत्वों के अलावा जीवनभर रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करने वाला आहार ही पोषण आहार है। बच्चों की क्षमतावृद्धि हो उन्हें ऐसा आहार मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पोषण आहार जीवन का एक बेहद जरूरी विषय और जरूरत है, इसलिए समाज के हर वर्ग को इसकी चिंता करनी ही चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस की दीं शुभकामनाएं-
आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने आभार संबोधन में सभी को अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि बच्चों के सर्वांगीण विकास और उनके सुदृढ़ व समृद्ध भविष्य के लिए हम सभी को पूरी शिद्दत और पारदर्शिता के साथ अपने-अपने कर्तव्यों का पूर्ण जिम्मेदारी से निर्वहन करना ही होगा।