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चीन-पाकिस्तान के मंसूबे होंगे नाकाम, अब बॉर्डर इलाकों के लोगों को सेना देगी विशेष ट्रेनिंग

 नई दिल्ली।

सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सुरक्षा बलों के आंख-कान की तरह काम करेंगे। खुफिया सूचनाओं के लिए अत्याधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने के साथ ह्यूमन इंटेलिजेंस का भी सुरक्षा के लिए बेहतर उपयोग करने के मकसद से सीमावर्ती इलाकों के चुनिंदा निवासियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने, अवैध घुसपैठ और दुश्मन ड्रोन का इस्तेमाल आदि चुनौतियों से लड़ने के लिए खुफिया जानकारी में इन्हें मदद का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

सूत्रों ने कहा कि इस मसले पर व्यापक विचार विमर्श हुआ है कि सीमावर्ती लोग हमारी संपत्ति की तरह हैं। इनका सुरक्षा सिस्टम में काफी अहम योगदान है। इसलिए इन्हें बेहतर संसाधन और प्रशिक्षण देकर अपनी सीमा सूचना तंत्र को ज्यादा मजबूत बनाया जा सकता है। चीन के अलावा पाकिस्तान सीमा पर भी ग्रामीणों को खास प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ने की मंशा है। ऐसे लोगों की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी।

एक अधिकारी ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग इलाके की भौगोलिक परिस्थितियों से बखूबी वाकिफ होते हैं। वे यहां की हर परिस्थिति के लिहाज से पारंगत हैं। खुफिया जानकारी प्रदान करने में ये सीमा सुरक्षा बलों और पुलिस की सहायता कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि सीमा-प्रहरी सीएपीएफ लगातार सीमावर्ती इलाके में रहने वाले लोगों के साथ प्रशिक्षण और संपर्क कार्यक्रम चलाएगी। गौरतलब है कि सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर की मज़बूती को लेकर भी काम तेजी से चल रहा है। सरकार ने बॉर्डर ग्रिड की मजबूती के लिए भी काफी कदम उठाए हैं। घुसपैठियों को रोकने में सुरक्षा बलों को काफी सफलता मिली है। सरकार की मंशा है कि सीमा पर खुफिया तंत्र, सुरक्षा एजेंसियों का बेहतर समन्वय बने।

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