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PM मोदी की विदेश नीति का कमाल, भारत के बड़े पार्टनर के रूप में उभर रहा ऑस्ट्रेलिया

 नई दिल्ली।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय संबंधों में हाल के वर्षों में मजबूती आई है और 2020 के बाद से दोनों देशों में रणनीतिक साझीदारी भी बढ़ी है। इस बात का खुलासा ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपनी विदेश नीति पर जारी श्वेत पत्र से भी मिलता है, जिसमें उसने कहा है कि भारत उसके वैश्विक भागीदारों में अग्रिम पंक्ति में है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों ने 4 जून 2020 को वर्चुअल सम्मेलन किया था और समग्र रणनीतिक साझीदारी को लेकर एक संयुक्त बयान जारी किया था। कुल आठ क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझीदारी बढ़ाने पर सहमति बनी है, जिनमें हिन्द प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को लेकर साझा विजन, दोनों देशों के बीच परस्पर लाजिस्टिक सपोर्ट, साइबर और इससे जुड़ी तकनीकों को लेकर सहयोग, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में खनन कार्य में सहयोग, रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। दोनों देशों के बीच हर दो साल में एक बार ‘टू प्लस टू वार्ता’ को लेकर भी सहमति बनी है, जिसमें रक्षा और विदेश मंत्रियों की बैठकें होती हैं। पिछले साल से इसकी शुरुआत हो चुकी है।

क्वाड में भी साथ-साथ
इसके अलावा क्वाड सहयोगी के रूप में ऑस्ट्रेलिया की भूमिका भारत के लिए अहम है। वह भारत के संयुक्त सैन्य अभियानों में भी हिस्सा ले रहा है। पिछले साल 23 सितंबर को वाशिंगटन में क्वाड सम्मेलन के दौरान प्रधानंत्री मोदी की ऑस्ट्रेलिया के पीएम के साथ अलग से भी बैठक हुई थी। विदेश मंत्री ने पिछले महीने आस्ट्रेलिया में चौथी क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में शिरकत की थी। यह दर्शाते हैं कि ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के सामरिक संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं।
 

पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने बेंगलुरु में टेक समिट को संबोधित किया। तब उन्होंने आस्ट्रेलिया-भारत सेंटर फार एक्सीलेंस फार क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी की स्थापना का ऐलान किया। ऑस्ट्रेलिया-भारत संबंधों में मजबूती इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों की संख्या बढ़ रही है। ऑस्ट्रेलिया रोजगार, नौकरी और अध्ययन के लिए भारतीयों की नई पसंद के रूप में उभर रहा है। साथ ही भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। ऑस्ट्रेलिया ने भारत में पूर्ण टीकाकरण कर चुके लोगों एवं छात्रों को यात्रा में कोविड नियमों से छूट भी प्रदान की है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेट भी है, जिसके तहत परमाणु बिजलीघरों के लिए ऑस्ट्रेलिया से यूरेनियम की आपूर्ति होती है। ऑस्ट्रेलिया न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) का सदस्य भी है।

भारत का लगातार समर्थन कर रहा है ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया ने भारत की अनेक वैश्विक पहलों का भी समर्थन किया है। जैसे इंटरनेशनल सोलर एलायंस, कोलेसन फार डिजास्टर रिजिलेंट इंफ्रास्ट्रक्चर, दि इंडो-पैसेफिक ओसियन इंनीसियेटिव। इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भी भारत की सदस्यता का समय-समय पर जोरदार समर्थन किया है। वैज्ञानिक शोध के लिए दोनों देशों के बीच कई कोष भी बने हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया इंडिया स्ट्रेटैजिक रिसर्च फंड, इंडिया आस्ट्रेलिया बायोटैक्नोलॉजी फंड, इंडिया ऑस्ट्रेलिया साइंस एंड टेक्नोलॉजी फंड, ग्रांड चैलेंज फंड शामिल हैं।

मौजूदा समय में दोनों देशों के बीच सालाना कारोबार 12 अरब डॉलर से भी अधिक का है। इसमें लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। ऑस्ट्रेलिया के पास अनेक ऐसे खनिजों के भंडार हैं जिनकी उपलब्धता दुनिया में सीमित है जैसे लीथियम, कोबाल्ट आदि। भविष्य में ये खनिज ऑस्ट्रेलिया से भारत को प्राप्त हो सकते हैं।

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