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पेट्रोल-डीजल पर उत्तराखंड-यूपी और महाराष्ट्र के टैक्स में दोगुने का अंतर, केंद्रीय मंत्री ने समझाया गणित

नई दिल्ली
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर राज्य सरकारों पर निशाना साधा है। पुरी ने ट्वीट करके कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने 2018 से फ्यूल टैक्स के रूप में 79,412 करोड़ रुपए इकट्ठा किए हैं और इस साल 33,000 करोड़ रुपए एकत्र करने का अनुमान है। लोगों को राहत देने के लिए वह पेट्रोल और डीजल पर वैट क्यों नहीं घटाती है? हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया, "विपक्ष शासित राज्य अगर आयातित शराब के बदले ईंधन पर टैक्स में कटौती करें तो पेट्रोल सस्ता होगा! महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल पर ₹32.15/लीटर और कांग्रेस शासित राजस्थान ने इस पर ₹29.10/लीटर कर लगाया है, लेकिन बीजेपी शासित उत्तराखंड में केवल ₹14.51/लीटर  और उत्तर प्रदेश में ₹16.50/लीटर ही टैक्स है। विरोध प्रदर्शन करने से फैक्ट नहीं बदल जाएंगे!"

पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती से केन्द्र को तगड़ा नुकसान
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती को लेकर एक बार फिर केन्द्र और गैर भाजपा राज्यों के बीच रार बढ़ सकती है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में इस बात को उठाया था कि केन्द्र के आग्रह के बाद भी कई राज्य सरकारों ने अपने हिस्से का वैट नहीं घटाया था। इस बयान पर राज्यों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया दी गई है। बता दें, पिछले साल नवंबर में केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल 10 पर रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी।

सरकारी के पास उपलब्ध आंकड़ों की जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी में हुई कटौती की वजह से केन्द्र सरकार को हर महीने 8,700 रुपये का नुकसान हो रहा है। नवबंर 2021 से मार्च 2022 तक तेल की वैट में कटौती की है उनका कुल राजस्व 15,696 करोड़ रुपये था। जिसमें 11,398 करोड़ रुपये अकेले भाजपा शासित राज्यों ने छोड़े हैं।

 

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