उत्तराखंड: जीएसटी घाटे से उबरने के लिए तैयार करेगी रणनीति
देहरादून
केंद्र सरकार ने 2017 में जीएसटी लागू करने के बाद घाटे की जद में आए राज्यों के लिए आगामी पांच वर्षों तक प्रतिपूर्ति की व्यवस्था लागू की थी। यह अवधि अब 30 जून को समाप्त हो जाएगी। उत्तराखंड को केंद्र से जीएसटी प्रतिपूर्ति पर रोक लगी तो हर वर्ष राज्य को तकरीबन पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। सीमित आर्थिक संसाधन वाले राज्य के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं हैं।
वैट से राज्य की आमदनी में प्रति वर्ष वृद्धि करीब 19 प्रतिशत रही
दरअसल वित्तीय वर्ष 2016-17 में जीएसटी लागू होने पर राज्य को वैट (मूल्य वर्धित कर) से होने वाली आमदनी करीब 7143 करोड़ थी। महत्वपूर्ण यह है कि वैट से राज्य की आमदनी में प्रति वर्ष वृद्धि करीब 19 प्रतिशत रही है। वहीं जीएसटी लागू होने के बाद स्थिति उलट है। इससे होने वाली आमदनी घट गई है। जीएसटी प्रतिपूर्ति जारी रखने के लिए उत्तराखंड समेत तमाम प्रभावित हो रहे राज्य केंद्र सरकार और जीएसटी काउंसिल में मांग उठा चुके हैं। अभी तक केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी प्रतिपूर्ति आगे जारी रखने के संकेत नहीं दिए गए हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से भी जीएसटी काउंसिल में इस तरह से भरोसा नहीं दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जीएसटी प्रतिपूर्ति आगे जारी रखने का अनुरोध केंद्र से कर चुके हैं। फिलहाल केंद्र के रुख को भांपकर राज्य सरकार ने घाटे से उबरने के लिए स्वयं नीति बनाने का संकल्प भी जताया है। मुख्यमंत्री धामी इस संबंध में वित्त विभाग को निर्देश दे चुके हैं। सरकार की निगाहें ऐसे व्यवसायियों पर टिकी हैं, जो पात्रता की सीमा में व्यापार कर रहे हैं, लेकिन जीएसटी के दायरे में नहीं आए हैं।