Weather: बारिश-बर्फबारी से गिरा तापमान, कई गांवों में बिजली आपूर्ति ठप..
हिमाचल प्रदेश में बारिश-बर्फबारी का दौर जारी है। सोमवार रात को प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में बादल झमाझम बरसे। आज भी राजधानी शिमला सहित अन्य भागों में मौसम खराब बना हुआ है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार प्रदेश में 25 मार्च तक मौसम खराब रहने की संभावना है। इस दौरान कई भागों में बारिश-बर्फबारी होने की संभावना है। कई स्थानों पर अंधड़ चलने व ओलावृष्टि का येलो अलर्ट भी जारी हुआ है। ताजा बारिश-बर्फबारी से प्रदेश में शीतलहर बढ़ गई है। केलांग व नारकंडा का न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया गया है। शिमला में सुबह से धुंध छाई हुई है।
वहीं, जलोड़ी दर्रा में ताजा बर्फबारी से औट-बंजार-सैंज हाईवे-305 यातायात के लिए बंद हो गया है। दर्रा में आधा फीट बर्फ गिरी है। इससे निगम की तीन बसें फंस गई हैं। इनमें एक निजी बस भी शामिल है। हाईवे के बंद होने से लोगों को अब आठ किलोमीटर पैदल सफर या फिर वाया करसोग व शिमला होकर सफर करना होगा। वहीं, हिमस्खलन से पांगी का संपर्क भी लाहौल व कुल्लू से कटा हुआ है।
उधर, किन्नौर व ऊपरी शिमला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी रुक-रुक कर बारिश व बर्फबारी जारी है। पूरा क्षेत्र फिर से शीतलहर की चपेट में आ गया है। कुफरी, नारकंडा, खड़ापत्थर व चौपाल के खिड़की में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है। हालांकि, वाहनों की आवाजाही सामान्य है। चालकों को सतर्कता बरतते हुए वाहन चलाने की सलाह दी गई है। कदराला में 22 व कुफरी में 2.0 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई है। नारकंडा के हाटू पीक पर करीब एक फीट बर्फबारी हुई है।
मंडी जिले के निचले क्षेत्रों में लगातार बारिश जारी है, वहीं ऊंचे पहांड़ों में बर्फबारी हुई है।उप मंडलाधिकारी नागरिक थुनाग पारस अग्रवाल ने बताया कि शिकारी माता मंदिर की पहाड़ियों में लगभग 6 इंच से अधिक बर्फबारी हुई है। रायगढ़ से उपर सड़क मार्ग पूरी तरह से बंद है, जिससे मंदिर की यात्रा करना श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। उन्होंने लोगों से आगामी आदेशों तक शिकारी माता व अन्य अधिक ऊंचाई वालें क्षेत्रों का रुख नहीं करने की अपील की है।
वहीं, मार्च महीने के तीसरे सप्ताह में बारिश-बर्फबारी से तापमान में आई गिरावट से बागवानों की चिंता बढ़ गई है। तापमान लुढ़कने से सेब की फ्लावरिंग प्रक्रिया धीमी हो गई है तो वहीं अगर आने वाले दिनों में भी ऐसा ही मौसम बना रहा तो फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस समय कम ऊंचाई वाले सेब के बगीचों में पिंक बड निकलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अचानक तापमान में गिरावट आने से पिंक बड आने की प्रक्रिया धीमी चल रही है। हालांकि अभी फ्लावरिंग के लिए समय है लेकिन मौसम ऐसा ही बना रहता तो इससे सेब की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक अच्छी फ्लावरिंग के लिए 16 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना आवश्यक है लेकिन बीते तीन दिनों से हो रही बारिश और बर्फबारी के कारण तापमान लुढ़क गया है। इसका सीधा असर सेब के बगीचों में देखने को मिल रहा है। बागवानी विशेषज्ञ डॉ, नरेंद्र कायथ ने बताया कि तापमान में भारी गिरावट आई है। इस कारण फ्लावरिंग की प्रक्रिया में देरी हो गई है। अभी सेब की फ्लाविंरग में समय है लेकिन फ्लावरिंग के समय में तापमान कम रहता है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव असर फसल पर पड़ सकता है।