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रूस से क्रूड ऑयल लेना क्यों है भारत के लिए फायदे का सौदा

नई दिल्ली
भारत ने रूस से क्रूड ऑयल खरीदने का फैसला किया है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दुनियाभर में तेल के दामों में इजाफा हुआ है। इससे भारत की मुश्किलें भी बढ़ी हैं। ऐसे में भारत सरकार के लिए रूस जैसे देशों से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदना घाटे का सौदा नहीं है। भारत सरकार के फैसले की जानकारी रखने वाले शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी।

रूस दे रहा है डिस्काउंट
अमेरिका और सहयोगी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस ने भारत को क्रूड ऑयल और कुछ अन्य उत्पाद डिस्काउंट रेट पर देने का फैसला किया है। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद उसके ऊपर यूरोपीय देशों द्वारा कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। ऐसे में यूरोपीय कंपनियां रूस से तेल नहीं खरीद रही हैं।

भारत है बड़ा आयातक
तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता भारत रूस से तेल आयात करता है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वक्त के मुकाबले मार्च में यह आयात चौगुना बढ़ चुका है। रूस ने मार्च में अब तक भारत को 360,000 बैरल तेल निर्यात कर चुका है। साल 2021 के औसत के हिसाब से देखें तो यह चार गुना है। रिपोर्ट में एक कमोडिटीज और एनालिटिक्स फर्म केपलर का हवाला दिया है। इसके मुताबिक जो शिपमेंट शिड्यूल है उस हिसाब से रशिया इस पूरे महीने भारत को 203,000 बैरल प्रतिदिन तेल निर्यात करने के रास्ते पर है।

ऊर्जा सुरक्षा एक बड़ी चुनौती
मामले की जानकारी रखने वाले शख्स के मुताबिक चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात में हमारी ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियां बढ़ी हैं। वहीं अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते हम ईरान और वेनेजुएला से तेल आयात नहीं कर सकते। ऐसे में भारत को अन्य कॉम्पटीटिव एनर्जी सोर्सेज पर निगाह रखनी होगी। हम सभी उत्पादकों से ऐसे ऑफर्स का स्वागत करते हैं। ग्लोबल एनर्जी मार्केट में बिजनेस कर रहे इंडियन ट्रेडर्स भी सर्वश्रेष्ठ विकल्पों की तलाश में हैं। इस शख्स ने आगे कहाकि भारत के वैध एनर्जी ट्रांजैक्शन का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। उसने कहाकि अन्य वैकल्पिक स्रोतों से एनर्जी हासिल करना महंगा पड़ेगा।

आयात पर बड़ी निर्भरता
इस शख्स ने बताया कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। इस जरूरत का 85 फीसदी क्रूड ऑयल जो कि करीब 50 लाख बैरल प्रतिदिन है आयात किया जाता है। इसका ज्यादातर हिस्सा पश्चिमी देशों से आता है, जिसमें 23 फीसदी इरका, 18 फीसदी सऊदी अरब और 11 फीसदी यूएई से है। ऐसे में रशिया वह देश है तो भारत की जरूरत का एक फीसदी से भी कम क्रूड ऑयल निर्यात करता है। वह भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति पूरा करने वाले देशों में टॉप 10 में भी नहीं आता है। सिर्फ इतना ही नहीं, यहां पर दोनों देशों की सरकार के बीच भी आयात के लिए कोई अरेंजमेंट नहीं है।

एक तरफ प्रतिबंध, दूसरी तरफ आयात
इस वक्त अमेरिका और पश्चिमी देश भारत के ऊपर दबाव बना रहे हैं कि वह यूक्रेन क्राइसिस पर कड़ा कदम उठाए। वहीं बड़े पैमाने पर यूरोपीय देश रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं। रूस के कुल निर्यात का 75 फीसदी हिस्सा यूरोपीय देशों को जाता है जो ओईसीडी के सदस्य हैं। यह देश जर्मनी, इटली और फ्रांस हैं। वहीं कई अन्य यूरोपीय देश जैसे नीदरलैंड्स, पोलैंड, फिनलैंड, लिथुआनिया और रोमानिया भी रूस के कच्चे तेल के बड़े खरीदार हैं। 

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