
सीहोर। कोठरी स्थित वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी वीआईटी के मेस में परोसे जा रहे खाने को लेकर जो आशंकाएं जताई जा रही थीं, वे अब सच साबित होती दिख रही हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा लिए गए नमूनों की प्राथमिक जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सोमवार को सीहोर जिला मुख्यालय पहुंचने वाली फाइनल रिपोर्ट के आधार पर संस्थान और कैटरर्स पर बड़ी कानूनी गाज गिरना तय माना जा रहा है।
जांच में सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह सामने आई है कि छात्रों को दी जाने वाली दाल और राजमा में जानलेवा कीटनाशक (पेस्टीसाइड) के अवशेष मिले हैं। खाद्य विशेषज्ञों के अनुसार खाने में पेस्टीसाइड की मौजूदगी छात्रों के लिवर और आंतों के लिए (साइलेंट किलर) का काम कर रही थी। मेस से लिए गए कुल 32 सैंपलों में से 12 नमूने पूरी तरह फेल हो गए हैं, जिन्हें लैब ने असुरक्षित घोषित किया है।
मुख्यालय में टिकेंगी सबकी निगाहें
खाद्य सुरक्षा निरीक्षक भावना ठाकुर ने स्पष्ट किया है कि लैब से मौखिक सूचना मिल चुकी है, लेकिन सोमवार को सीहोर जिला मुख्यालय में अधिकृत रिपोर्ट पेश की जाएगी। इसी रिपोर्ट के साथ वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा-निर्देश भी आएंगे, जिसके बाद तय होगा कि दोषी पाए गए 4 बड़े कैटरर्स (जेएमबी, रेसेंस, एबी कैटरिंग और सफल सिनर्जी) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी या उनके लाइसेंस निरस्त होंगे।
मैनेजमेंट के दावों की खुली पोल
गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने सरकार को भेजे 49 पन्नों के जवाब में खाने की गुणवत्ता को लेकर खुद को क्लीनचिट दी थी और आरोपों को अफवाह बताया था। लेकिन अब सरकारी लैब की रिपोर्ट ने प्रबंधन के दावों की पोल खोल दी है। नवंबर में हुए हंगामे और फूड प्वाइजनिंग की शिकायतों के पीछे की असल वजह अब वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित होती दिख रही है।
कल तय होगी कार्रवाई की रूपरेखा
सीहोर प्रशासन सोमवार को आने वाली रिपोर्ट को लेकर बेहद गंभीर है। चूंकि यह मामला 17 हजार छात्रों के स्वास्थ्य से जुड़ा है, इसलिए माना जा रहा है कि जिला प्रशासन इस मामले में नजीर पेश करने वाली कार्रवाई कर सकता है।