108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ 27 से 30 अप्रैल तक, 1100 से अधिक कलश के साथ निकाली जाएगी कलश यात्रा

सीहोर। अखिल विश्व गायत्री परिवार के मार्गदर्शन में 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ रविवार को भव्य शोभा कलश यात्रा के साथ शुरू होगा। इस मंगल कलश यात्रा में 1100 महिलाएं सिद्धपुर नगर की पवन जल और रज के साथ वैदिक विधि विधान आव्हान की गई देवशक्तियों को शक्ति के प्रतीक कलश के रूप में धारण कर गायत्री शक्तिपीठ नदी चौराहे से चलकर मनकामेश्वर चौराहा, कोतवाली चौराहा होती हुई शहर के सैकड़ाखेड़ी मार्ग माधव आश्रम के पास यज्ञ स्थल तक पहुंचेंगी। शोभा यात्रा में नशे का विरोध और मानव धर्म के विविध स्रोत को प्रदर्शित करती हुई भव्य झांकियां शामिल रहेंगी। यात्रा में 3 हजार लोगों के भाग लेने की सम्भावना है।
26 अप्रैल शनिवार से 30 अप्रैल तक चलने वाले चार दिवसीय अध्यात्मिक महासमगम कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी उपजोन प्रभारी आरपी हजारी एवं महायज्ञ आयोजन समिति की मुख्य समन्वयक रमीला परमार द्वारा संयुक्त रूप से दी गई। उन्होंने कहा कि गायत्री महायज्ञ सामाजिक समरसता और नारी जागरण की क्रांति के पर्याय हैं। मीडिया प्रभारी पुष्पा शर्मा ने आमजन से यज्ञ में भाग लेने की अपील की है। भोपाल से सुरेश श्रीवास्तव ने यहां पर चर्चा करते हुए आयोजन के विषय में विस्तार से बताया। महायज्ञ के संचालन के लिए ब्रह्मवादिनी बहनों की टोली शांतिकुंज हरिद्वार से सीहोर पधार चुकी है। मुख्य वक्ता के रूप में शांतिकुंज हरिद्वार से शैफाली पांड्या का विशेष उद्बोधन 29 अप्रैल को होगा। 28 अप्रैल सुबह 7 बजे से नगर और क्षेत्र के चयनित 500 जोड़े के माध्यम से देवपूजन का विशेष क्रम रहेगा। 29 और 30 तारीख को प्रात: काल 7 से वैदिक विधि विधान से ब्रह्मवादिनी बहनों के द्वारा यज्ञ और विविध संस्कार सम्पन्न कराए जाएंगे। महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन सांयकाल परिवारों में सुसंस्कारों के संवर्धन, समाज के नैतिक उत्थान और राष्ट्र के नवनिर्माण, नवदम्पति शिविर से सम्बद्ध संगीत में प्रवचन की प्रस्तुति विद्वान वक्ता टोली नायक दीना त्रिवेदी के मार्गदर्शन दी जाएगी। यज्ञ के पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यज्ञ के धुएँ का वायु, जल, मृदा पर सकारात्मक प्रभाव होता है। इस संबंध में वैज्ञानिक शोध के निष्कर्ष सरकार तक पहुंचाए जाते हैं।

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