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108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ, 24 हजार से अधिक होंगे दीप प्रज्जवलित

उमड़ा आस्था का सैलाब,

सीहोर। 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के देवपूजन के साक्षी बने लगभग 400 जोड़ों को यज्ञ के दार्शनिक और वैज्ञानिक पक्ष की व्याख्या करते हुए हुए व्यास पीठ पर विराजमान ब्रह्मवादिनी बहनों की टोली नायक दीना त्रिवेदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में भारतीय संस्कृति के जनक यज्ञ पिता और गायत्री माता कहे गए हैं। सोमवार सुबह पांच बजे से ध्यान साधना एवं प्रज्ञा योग, सात बजे यज्ञ का ज्ञान-विधान, दोपहर दो बजे नवदंपति शिविर, दोपहर तीन बजे युवा जागरण एवं जैविक कृषि गोपालन पर विशेष उद्बोधन और शाम को छह बजे नारियों जागों स्वयं को पहचानों विशेष उद्बोधन किया गया। अब मंगलवार को मुख्य अतिथि शांतिकुंज-हरिद्वार से शैफाली पंड्या दीदी द्वारा अपने उद्बोधन में राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने सप्त आंदोलन के विषय पर चर्चा की जाएगी एवं शाम को 24 हजार से अधिक दीप प्रज्जवलित कर महायज्ञ किया जाएगा।
सोमवार को सुश्री दीना त्रिवेदी ने कहा कि अर्थात गायत्री से सद्बुद्धि प्राप्त होने पर ही मानव सत्कर्म करने के लिए प्रेरित होता है। यही यज्ञ का दर्शन है। मनुष्य को जीवन देने वाले के प्रति और जीवन यापन के आवश्यक साधन सामग्री प्रदाताओं के प्रति कृतज्ञ होकर पूज्य भाव रखना और निरंतर देते रहना यज्ञ का दर्शन है। यज्ञ कर्मकांड में देवपूजन और संगतिकरण भी आवश्यक रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य की स्वार्थ और संकीर्ण विचारधारा और भौतिकवादी सोच के फलस्वरुप चारों ओर जो असुरता और पर्यावरण असंतुलन का वातावरण बना हुआ उसके निवारण के लिए संगठित होकर देव तत्वों को पोषण देने की आवश्यकता है। वेदमूर्ति श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा चलाई गई युग निर्माण योजना का लक्ष्य है कि हमारा समाज सुखी समुन्नत हो, धरती पर स्वर्ग जैसा वातावरण बने। मानव जीवन में संस्कारों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए दीना दीदी ने बताया कि मां के गर्भ में जीव चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करता हुआ मानव योनि प्राप्त करता है। उसके पिछले जीवन के कई जीव संस्कार जीवात्मा के साथ आते हैं, उन्हें दूर कर श्रेष्ट संस्कार स्थापित करने के लिए ऋषियों ने 16 संस्कारों की परंपरा चलाई। आज 5 गर्भवती बहिनों के पुंसवन संस्कार संपन्न हुए, जिसमें गर्भवती मां को अपनी सात्विक दिनचर्या के साथ, शारीरिक श्रम करने और तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाने के बारे में समझाईश दी गई और कहा गया कि गर्भवती माता-बहनों को शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा संचालित आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी के द्वारा चलाए जाने वाले ऑनलाइन क्लास के द्वारा गर्भ विज्ञान की पूरी जानकारी लेकर गर्भस्थ भ्रूण को महामानव के रूप में शिशु निर्माण कर सकती हैं।
समाज में नशे की प्रवृति बढ़ रही है-
समाज में नशे की दुष्प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जिससे फलती-फूलती घर, गृहस्थियां उजड़ रही हैं और मनुष्य का स्वास्थ्य एवं धन चौपट हो रहा है। मोबाइल का अधिक उपयोग भी एक नशा है, जिसके कारण साइको सोमेटिक बीमारियां बढ़ रही हैं। हमें गजेट्स के अत्यधिक और अनावश्यक उपयोग से बचना होगा। उन्होंने उपस्थित लोगों से यज्ञ की पूर्णाहुति के रूप में अपने दोष दुर्गणों को परित्याग कर देने का आव्हान किया। इस संबंध में उपजोन समन्वयक आरपी हाजरी और जिला कार्यक्रम संयोजक रमिला परमार ने बताया कि सोमवार को सुबह पांच बजे से महायज्ञ के अंतर्गत अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। इसमें जिला कार्यक्रम संयोजक महेश विजयवर्गीय, प्रेमलाल कुशवाहा और मीडिया प्रभारी पुष्पा शर्मा आदि शामिल थे। इससे पहले रविवार को नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभा कलश यात्रा शहर के नदी चौराहे गायत्री शक्तिपीठ से आरंभ हुई। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में बालिकाएं और महिलाएं कलश धारण कर चल रही थी। इस मौके पर अनेक स्थानों पर सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों और क्षेत्रवासियों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
भाजपा नेता जसपाल सिंह अरोरा ने 108 कुंडीय महायज्ञ में पहुंचकर की पूजा-अर्चना
भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व नगर परिषद एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा ने नगर के सैकड़ाखेड़ी मार्ग माधव आश्रम पर शुरू हुए 108 कुंडीय अखिल विश्व गायत्री महायज्ञ में पहुंचकर पूजा अर्चना की एवं नगरवासियों, क्षेत्रवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान गायत्री परिवार की दीदी वीणा चतुर्वेदी से भी आशीर्वाद प्राप्त किया। इस मौके पर गायत्री परिवार के सदस्यों ने श्री अरोरा का तिलक लगाकर सम्मान भी किया। इस अवसर पर श्री अरोरा ने कहा कि नगर में पहली बार 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया है। यह सभी नगर वासियों के लिए गर्व की बात है। ऐसे आयोजन सनातन धर्म की रक्षा के लिए बेहद जरूरी है।

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