कुबेरेश्वरधाम पर आए श्रद्धालुओं को वितरण किया भोजन प्रसादी के साथ 800 लीटर शरबत
सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिदिन आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के आदेशानुसार सुबह भोजन प्रसादी का वितरण किया जाता है। वहीं दोपहर में गन्ने का रस, शरबत आदि प्रदान किया जाता है।
बुधवार को श्राद्ध अमावस्या के पावन अवसर पर पंडित विनय मिश्रा के मार्गदर्शन में विठलेश सेवा समिति की ओर से यहां पर आने श्रद्धालुओं को करीब 800 लीटर गन्ने का रस और शरबत का वितरण किया। वितरण के दौरान समिति की ओर से सौभाग्य मिश्रा, मनोज दीक्षित मामा, बंटी परिहार, राधेश्याम विहार कालोनी की ओर से जितेन्द्र तिवारी, अमनराज तिवारी आदि शामिल थे। उन्होंने बताया कि बैशाख में दो दिन अमावस्या है। इस अमावस्या को सतुवाई अमावस्या के नाम से जाना जाता है। वैशाख अमावस्या पर धर्म-कर्म, पितरों का तर्पण, स्नान व दान आदि का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। यह अमावस्या कालसर्प दोष, गृह दोष निवारण, पितरों की शांति आदि के लिए लाभकारी मानी गई है। भारतीय समय के अनुसार सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजे बाद शुरू हो जाएगा। आस्ट्रेलिया और कुछ अन्य देशों में सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। शास्त्रों की मान्यता है कि जहां-जहां ग्रहण दिखाई देता है, वहां-वहां ग्रहण का सूतक रहता है। सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से करीब 12 घंटे पर शुरू हो जाता है और ग्रहण खत्म होने के साथ सूतक खत्म होता है। 20 अप्रैल के बाद 14 अक्टूबर को भी सूर्य ग्रहण होगा। ये सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं दिखेगा। वैशाख अमावस्या पर ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा तो इस दिन सभी पूजन-पाठ किए जा सकते हैं। ग्रहण के लिए दान-पुण्य करना चाहते हैं तो भक्त अपनी इच्छा के अनुसार कर सकता है। अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस तिथि पर गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी अधिक भक्त पहुंचते हैं। स्नान के बाद नदी किनारे पर दान-पुण्य करना चाहिए। जो लोग नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, जूते-चप्पल और कपड़े का दान करें। सतुवाई अमावस्या पर किए गए शुभ कर्मों का अक्षय पुण्य मिलता है।