
सीहोर/रेहटी। भीषण गर्मी के बीच श्रद्धालुओं ने वैशाख (सत्तू) अमावस्या पर नर्मदा तटों पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान लोग सुबह से ही नर्मदा घाटों पर पहुंचे और स्नान कर मंदिरों में सत्तू का दान किया। जिले के प्रसिद्ध नर्मटा तट आंवलीघाट पर लोग बड़ी संख्या में स्नान के लिए पहुंचे। इस दौरान यहां पर सुरक्षा व्यवस्था के भी इंतजार किए गए। यहां पर स्नान करके लोगों ने मंदिरों में पहुंचकर दर्शन किए एवं सत्तू का दान भी किया।
इस समय भीषण गर्मी का दौर है। ऐसी भीषण गर्मी में भी लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं रही। सत्तू अमावस्या पर लोग सुबह से ही नर्मदा घाटों पर पहुंचे और स्नान किया। जिले के प्रसिद्ध नर्मदा तट आंवलीघाट, बुधनी, बाबरी सहित अन्य तटों पर सुबह से ही लोग पहुंचे और उन्होंने नर्मदा स्नान किया। सत्तू अमावस्या पर दान करने का भी रिवाज है। इस दौरान लोगों ने मंदिरों में दर्शन किए एवं सत्तू का दान भी किया। वैशाख (सत्तू)अमावस्या पर लोगों ने घरों में भी पूजा-अर्चना करके अमावस्या का पर्व मनाया। इसके बाद घरों में भी सत्तू घोलकर खाने की परंपरा रही है। इस दौरान घरों में सत्तू घोलकर खाया गया।
नर्मदा घाटों पर किए सुरक्षा के इंतजाम –
वैशाख (सत्तू) अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में लोग स्नान करने के लिए नर्मदा घाटों पर पहुंचते हैं। इसको लेकर जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा भी सुरक्षा की दुष्टि से व्यवस्थाएं की गईं। इस दौरान आंवलीघाट, बुधनी सहित अन्य घाटों पर पुलिसकर्मी, गोताखोरों को तैनात कर सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। श्रद्धालुओं ने अलसुबह से ही नर्मदा घाटों पर पहुंचकर स्नान किया एवं पूजा-अर्चना करके सत्तू का दान भी दिया। मान्यता है कि वैशाख मास की अमावस्या को सत्तू अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। सत्तू अमावस्या पर नर्मदा स्नान सहित तीर्थों पर स्नान-दान, पूजन और पितरों की पूजा के बाद सत्तू दान करने की विशेष परंपरा है। सनातन परंपरा में इस दिन न सिर्फ सत्तू के दान बल्कि सत्तू के सेवन का शुभफल बताया गया है। सत्तू अमावस्या का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिष महत्व भी है। ज्योतिष की दृष्टि से पितृदोष और कालसर्प दोष दूर करने वाली शांति पूजा के लिए सत्तू अमावस्या को बेहद शुभ माना गया है।
वैशाख अमावस्या पर 108 दीप प्रज्जवलित कर की यज्ञ आरती –