
सीहोर। जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर दूर हरे-भरे जंगल के मध्य सद्भावना की मिसाल बने काला पहाड़ दरगाह पर इन दिनों दरगाह कमेटी के द्वारा मोर्हरम का पर्व हर साल की तरह आस्था के साथ मनाया जा रहा है। गुरुवार को काला पहाड़ दरगाह कमेटी के तत्वाधान में कव्वाली का आयोजन किया गया। इस मौके पर शहर के ही कव्वाल कासम झंकार और तारिख के सुर और ताल के माध्यम से श्रोताओं के सामने साक्षात कर दिया। उनकी कव्वाली और उसकी अदायगी का अंदाज इतना निराला रहा कि मौजूद लोग झूम उठे। बनाके तुझको मौला, खुद को बंदा कर लिया मैनेÓ ‘दमादम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबरÓ जैसे कलाम वाली कव्वालियों को सुन सभी झूमने लगे। कासम झंकार और तारिख कव्वाल के सुरो ने लोगों के जहनों से धर्म और मजहब की बंदिशों को खत्म कर दिया। इस मौके पर कव्वाल झंकार द्वारा उन्होंने कहा कि यहां पर आते वही जिन्हें सरकार बुलाते है। इनकी रहमत से बढ़कर कुछ भी नहीं आदि कव्वाली की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। इस दौरान कमेटी के संरक्षक डॉ. बलवीर तोमर, अध्यक्ष नईम नवाब, राजेश भूरा यादव, नौशाद खान, नवेद खान, राजेन्द्र ठाकुर, मनोज दीक्षित मामा, इरफान वेल्डर, रिजवान पठान, शरीफ भाई, शहजाद खा आदि ने यहां पर मौजूद सभी कव्वालों का स्वागत किया। शनिवार को काला पहाड़ पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
बारह माह झील चलती है
इस संबंध में काला पहाड़ दरगाह कमेटी के अध्यक्ष श्री नवाब ने बताया कि हरे-भरे जंगल सैलानियों को आकर्षित कर रहा हैं। लोग यहां पिकनिक करने आते हैं। यहां की खूबसूरत वादियों को निहारकर पर्यटक अभिभूत हो जाते हैं। इस पहाड़ पर घने जंगल भी हैं। अगर यहां पर पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाए तो क्षेत्र का विकास हो सकता है। दरगाह के पास एक झील हो जो बारह माह चलती है। इसका पानी यहां पर आने वाले श्रद्धालु ग्रहण करते है। कितनी भी गर्मी पड़ती हो, लेकिन इस झील के पानी से लोगों के प्यास बुझती है। यहां पर हर साल मोर्रहम पर आस्था के साथ इबादत की जाती है, शनिवार को यहां पर सवारियों के आने का सिलसिला लगेगा और हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेगे।



