स्व. अंबादत भारतीय की 12वीं पुण्यतिथि पर हुआ काव्य गोष्ठी का आयोजन

सीहोर। स्थानीय रैंबो प्ले स्कूल के सभागार में मूर्धन्य पत्रकार स्वर्गीय अंबादत भारतीय की 12वीं पुण्य तिथि पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के बैनर तले विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार प्रमोद जोशी ने की। मुख्य अतिथि समाजसेवी आशीष गहलोत रहे। विशेष अतिथि ओम दीप, भाजपा नेता कमलेश कटारे एवं डॉ. एसआर. गट्टानी रहे। इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार एवं अंबादत्त भारतीय स्मृति पत्रकारिता संग्रहालय एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष रघुवरदयाल गोहिया ने भारतीय जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय जी बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व थे। पत्रकारिता के अलावा सामाजिक सरोकारों के प्रति उनका गहरा समर्पण था। 1965 से 2012 तक वह अपनी कलम निर्भीकता से चलाते रहे। पार्वती आंदोलन, तोप चोरी कांड, नव ज्योति संगठन के अभा कवि सम्मेलन, संपूर्ण साक्षरता अभियान, रंगकर्म जैसी विधाओं में आपने अपनी क्षमता और दक्षता का बखूबी परिचय दिया। अपने हर काम को वह पूरी जिम्मेदारी, सादगी और पूर्णता के साथ करते थे। साहित्य के हर पहलू को उन्होंने गहराई से समझा। आज अनेक पत्रकार और साहित्यकारों के रूप में उनके शिष्य भारतीयजी का नाम रोशन कर रहे हैं। इनके अलावा साहित्यकार हरिओम शर्मा दाऊ, रामनारायण राठौर, जयमल सिंह रजपाल, पंडित रामचंद्र शर्मा इंजीनियर बाबा, ओम दीप, डॉ. प्रदीप एस. चौहान ने भी अपने विचार रखे।
इसके पूर्व अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं स्व. भारतीय जी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर एवं माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना कवि गोविंद लोवानिया ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का सफल संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिला अध्यक्ष डॉ. विजेंद्र जायसवाल ने किया। इस अवसर पर काव्य गोष्ठि का आयोजन भी किया गया। काव्य पाठ करने वाले कवियों में हरिश्चंद्र आर्य, द्वारका बांसुरिया, सृजन साहित्य परिषद के अध्यक्ष विनोद पंसारी, हीरालाल जायसवाल अनाड़ी, सुरेश श्रीवास्तव, जोरावर सिंह, कैलाश चौहान, हीरालाल शर्मा, जितेंद्र नारोलिया, लक्ष्मण सिंह चौकसे, जितेंद्र राठोर आदि ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम में पंकज शर्मा, मुकेश सिंह ठाकुर, सुनील कावरे, श्रमिक नेता राममोहन श्रीवास्तव सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। अंत में आभार कवि सुरेश श्रीवास्तव ने माना।