
सीहोर। जिले के ग्राम मुंगावली में ढाई साल की सृष्टि के बोरवेल के गिरने के बाद से ही प्रशासन का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो गया। यह ऑपरेशन देर रात तक जारी भी रहा। सृष्टि को बोेरवेल से निकालने के लिए शुरू की गई खुदाई में 16 फीट के बाद पत्थर निकलने शुरू हो गए। पोकलेन मशीन के वाइब्रेशन से सृष्टि नीचे खिसक गई। देर रात तक जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी सृष्टि को बाहर नहीं निकाला जा सका। जिला प्रशासन का प्रयास लगातार जारी रहा।
खबर लिखे जाने तक 20 फीट से अधिक की खुदाई हो चुकी थी। करीब 8 फीट और गड्ढा खोदा जाना था। इसके बाद सुरंग के जरिए उसे बाहर निकाला जाएगा। एसडीईआरएफ की टीम भी रेस्क्यू में जुटी है। बच्ची तक ऑक्सीजन पहुंचाई गई। उसके मूवमेंट पर नजर रखने के लिए बोरवेल के अंदर इंस्पेक्शन कैमरा भी डाला गया। बताया जा रहा है कि बोरवेल के अंदर सृष्टि कोई मूवमेंट नहीं कर रही है। प्रशासन ने जब रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया था, तब सृष्टि मूवमेंट कर रही थी।
बोर में पानी नहीं निकला तो खुला छोड़ दिया बोर-
जानकारी के अनुसार ग्राम बड़ी मुंगावली के गोपाल कुशवाह ने दो महीने पहले अपने खेत में बोर खनन कराया था, लेकिन पानी नहीं निकलने पर गोपाल कुशवाह ने बोर खुला छोड़ दिया। बोर पर एक तगाड़ी रख दी थी। सृष्टि खेलते हुए उसी तगाड़ी पर जाकर बैठ गई। तगाड़ी के तिरछे होने पर वह बोरवेल में गिर गई।
पहले हुए हादसो से नहीं लिया सबक-
सरपंच और कृषि अधिकारी की देखरेख में होना चाहिए बोर-
बोरवेलों में बच्चों के गिरने की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ऐसे हादसों पर संज्ञान लेते हुए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे। 2013 में कई दिशा-निर्देशों में सुधार करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, जिनके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में बोरवेल की खुदाई सरपंच और कृषि विभाग के अधिकारियों की निगरानी में कराना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं होता है तो दोनों पर कार्रवाई होगी, जबकि शहरों में यह कार्य ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम इंजीनियर की देखरेख में होना जरूरी है। अदालत के निर्देशानुसार बोरवेल खुदवाने के कम से कम 15 दिन पहले डीएम, ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम को सूचना देना अनिवार्य है। बोरवेल की खुदाई से पहले उस जगह पर चेतावनी बोर्ड लगाया जाना और उसके खतरे के बारे में लोगों को सचेत किया जाना आवश्यक है। इसके अलावा ऐसी जगह को कंटीले तारों से घेरने और उसके आसपास कंक्रीट की दीवार खड़ी करने के साथ गड्ढ़ों के मुंह को लोहे के ढक्कन से ढकना भी अनिवार्य है, लेकिन इन दिशा-निर्देशों का कहीं पालन होता नहीं दिखता। दिशा-निर्देशों में स्पष्ट है कि बोरवेल की खुदाई के बाद अगर कोई गड्ढ़ा है तो उसे कंक्रीट से भर दिया जाए, लेकिन ऐसा न किया जाना हादसों का सबब बनता है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिए आवश्यक निर्देश-