
सुमित शर्मा, सीहोर
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुदनी विधानसभा को विकास का रोड मॉॅडल बनाने की कवायद में जुटे हुए हैं। उनकी मंशा है कि बुदनी का विकास इस तरह से हो कि इसी विकास कोे प्रदेशभर के लिए रोड मॉडल बनाकर प्रदेश का विकास भी इसी तर्ज पर करें। इसके लिए प्रज्जवल बुदनी प्रोेजेेक्ट भी शुरू किया गया है, जिसमें करीब 80 विकास कार्यों की सूची तैयार की गई है। मुख्यमंत्री केे इस विकास मॉडल को अब बुदनी सहित बुदनी विधानसभा के अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। अधिकारियोें की कार्यप्रणाली लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुदनी विधानसभा को बदनाम करवा रही है। ऐसा मौैका पहली बार नहीं आया, इससे पहले भी कई मौकोें पर बुदनी की जमकर अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियोें ने किरकिरी करवाई है। अब नगर परिषद बुदनी के जिम्मेेदारों की कार्यप्रणाली को लेकर बुदनी की चर्चाएं होे रही हैं। नगर परिषद के जिम्मेेदार कचरा ढोने वाले वाहन (ट्रेक्टर-ट्रॉली) से एक इंजीनियर के शव को पोेस्टमार्टम के लिए ले गए। बुदनी में वर्षों सेे शव वाहन की मांग की जा रही है, लेकिन सांसद सहित नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि अब तक बुदनी में शव वाहन की व्यवस्था नहीं करवा पाए हैैं। यह स्थिति बुदनी विधानसभा की है, तोे प्रदेश के अन्य शहरों एवं विधानसभा की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ऑनलाइन गेम बना मौत का कारण-
बुदनी की न्यू कॉलोनी स्थिति एक किराए के मकान मेें रह रहे युवा इंजीनियर तरूण शर्मा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक वर्धमान फैक्ट्री में इंजीनियर बताया गया, जबकि उसकी पत्नी ट्राइडेंट कंपनी में काम करती है। पुलिस के अनुसार युवक की पत्नी रात की शिफ्ट में काम करनेे कंपनी चली गईं। मृतक इंजीनियर घर पर अकेेला था। पत्नी जब कंपनी से सुबह घर आई तोे घर का दरवाजा बंद था। उसने खिड़की सेे देखा तो तरूण फांसी के फंदे पर लटका हुआ था। इसके बाद उसने मकान मालिक को इसकी जानकारी दी। मकान मालिक ने पुलिस को फोन करके बुलाया। पुलिस ने युवक को फांसी के फंदे से नीचे उतारा, लेकिन तब तक उसकी जान जा चुकी थी। इसके बाद युवक को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाना था, लेकिन शव वाहन नहीं होेने के कारण कचरा ढोलेे वालेे वाहन सेे ले जाया गया। मृतक तरूण शर्मा की पत्नी वंदना शर्मा ने बताया कि उसका पति ऑनलाइन गेम खेलता था। इस गेम की वजह से उस पर करीब 5 लाख रूपए का कर्ज हो गया था। कर्जा चुकाने के लिए पर्सनल लोन भी लिया था। वह कई दिनों से तनाव में चल रहा था। इसी कारण उसे आत्महत्या की है। बताया जा रहा है कि पुलिस को युवक के पास से एक सोसाइड नोट भी मिला है, जो 28 मई का है। पता चला है कि युवक पहले भी आत्महत्या के प्रयास कर चुका है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सांसद, अध्यक्ष नहीं दिलवा पाए शव वाहन-
बुदनी विधानसभा के बुदनी नगर में शव वाहन नहीं है। इस शव वाहन की मांग वर्षों से की जा रही है। इसके लिए सांसद रमाकांत भार्गव सहित नगर परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष एवं यहां के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियोें से कई बार स्थानीय नागरिकों ने मांग की। हर बार उन्हें आश्वासन मिला, लेकिन अब तक शव वाहन उपलब्ध नहीं हो सका। शव वाहन नहीं होने के कारण यहां के लोगों कोे परेशानियां भी आती हैैं, लेकिनन ये परेशानियां यहां के जिम्मेदारोें कोे नजर नहीं आ रही है।
भ्रष्टाचार भी चरम पर, नहीं देते जानकारी-
नगर परिषद बुदनी में भ्र्रष्टाचार भी चरम पर है। यहां पर सूचना का अधिकार केे तहत जानकारी भी उपलब्ध नहीं करवाई जाती हैै। भ्रष्टाचार इतना ज्यादा है कि बुदनी के विकास के नाम पर यहां केे जिम्मेेदारोें ने अपना ज्यादा विकास किया है। पार्षद से लेकर यहां केे अध्यक्ष एवं अन्य जिम्मेेदार जनप्रतिनिधि व अधिकारी मालामाल हो गए औैर उन्होेंने नगर परिषद बुदनी को कंगाल बना दिया। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का पालन बुदनी नगर परिषद के लोक सूचना अधिकारी द्वारा नहीं किया जाता है। यहां पर आने वाली आरटीआई की जानकारी यहां के लोक सूचना अधिकारी उपलब्ध नहीं करवाते हैं। इससे साफ है कि नगर परिषद नियम-कानून से नहीं किसी ओर के इशारोें पर काम करती है।
जिम्मेेदार के अजब-गजब जबाव-
इस मामले में बुदनी एसडीएम राधेश्याम बघेेल कहतेे हैैं कि उनकी बुदनी में नई पोस्टिंग है। इसके लिए उन्हें यह पता नहीं है कि बुदनी में शव वाहन की क्या स्थिति है। यदि शव वाहन नहीं है तोे जल्द ही इसके लिए प्रस्ताव बनाकर बजट उपलब्ध करवाया जाएगा। नगर परिषद बुदनी के सीएमओ सतीश मालवीय कहते हैैं कि इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है। जानकारी लेकर जांच कराएंगेे औैर जांच में जोे भी व्यक्ति दोेषी एवं जिम्मेेदार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इधर नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष पुष्पा विजय सिंह कहती हैं कि नगर परिषद के कर्मचारियोें द्वारा ऐसा किया जाना कहीं न कहीं मानवता को शर्मसार करने वाला है। नगर में शव वाहन उपलब्ध करवाने के लिए नगर परिषद से प्रस्ताव भी पास कराया था, लेकिन इसी बीच प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ जाने की वजह से शव वाहन के लिए बजट न होने का बोलकर मना कर दिया गया।