चकल्दी में दिखी भगौरिया पर्व की धूम, आदिवासियों ने नाच-गाकर मनाया उत्सव

होली के पहले हाट-बाजार वाले दिन भराता है भगौरिया

रेहटी। होली से पहले आदिवासियों के परंपरागत त्यौहार भगौरिया की जमकर धूम है। रेहटी तहसील के चकल्दी में भी हाट-बाजार वाले दिन मंगलवार को भगौरिया पर्व की धूम रही। इस दौरान आदिवासी युवक-युवतियां सज-धजकर भगौरिया उत्सव मनाने के लिए चकल्दी पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने जमकर आदिवासी परंपरा को निभाते हुए ढोल बजाए और आदिवासी नृत्य करके भगौरिया उत्सव मनाया।
यहां पर आदिवासियों द्वारा वर्षों से भगौरिया पर्व मनाया जा रहा है। पहले भगौरिया पर्व पर युवक-युवती भागकर शादी करते थे, लेकिन समय के साथ-साथ अब यह परंपरा तो बंद होती जा रही है, लेकिन कई अन्य परंपराएं इन आदिवासियों द्वारा अब भी निभाई जा रही हैं। आदिवासियों के इस भगौरिया उत्सव को देखने के लिए आसपास के क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में लोग चकल्दी पहुंचते हैं और भगौरिया पर्व में शामिल होते हैं। भगौरिया पर्व अब चकल्दी के अलावा अन्य आदिवासी क्षेत्रों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
आधुनिकता लेता जा रहा भगौरिया-
आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला भगौरिया पर्व भी अब आधुनिकता की चकाचौंध में खोता जा रहा है। हालांकि अब भी इनके द्वारा अपनी परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है, लेकिन समय के साथ-साथ कई परंपराएं विलुप्त भी होती जा रही है। बताया जाता है कि पहले आदिवासी समाज के युवक-युवती भगौरिया पर्व के दौरान भागकर ही शादी करते थे। ये लोग अपने घरों से सज-धजकर यहां पहुंचते थे और युवक-युवती एक-दूसरे को पसंद करके भाग जाते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे यह परंपरा बंद होती जा रही है। इसी तरह अब भगौरिया मेले में झूल सहित कई आधुनिक सामान भी आने लगा है। अब आदिवासी भी हाईटैक तरीके से इस पर्व को मनाने लगे हैं।
ढोल-बजाकर नाचते हैं आदिवासी-
भगौरिया पर्व के दौरान आदिवासी बड़े-बड़े ढोल लेकर पहुंचते हैं। इस दौरान वे ढोल बजाते हैं तो वहीं आदिवासी महिलाएं एवं पुरूष परंपरागत गीतों पर डांस भी करते हैं। आदिवासियों के इस त्यौहार को देखने के लिए स्थानीय लोगों में उत्साह नजर आता है और वे वर्षभर भगौरिया पर्व का इंतजार करते हैं।