’भाजपा’ कर रही सबका साथ-सबका विकास, ’कांग्रेस’ जातियों में उलझी, करवा रही गुपचुप सर्वे!

- बुधनी विधानसभा में होने वाले उपचुनाव से पहले प्रभारियों को सौंपी जिम्मेदारी

सुमित शर्मा, सीहोर
भारतीय जनता पार्टी सबका साथ-सबका विकास का नारा देती है, लेकिन कांग्रेस पार्टी जातियों में उलझी हुई है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के निर्देश पर बुधनी विधानसभा क्षेत्र के प्रभारियों को सर्वे के लिए कहा गया है। यह सर्वे भी गुपचुप तरीके से करना है, ताकि किसी को पता नहीं चले। हालांकि अब कांग्रेस पार्टी के इस निर्णय को लेकर कांग्रेस नेताओं में ही विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। वे नाम नहीं छापने की शर्त पर इस सर्वे कार्य का विरोध भी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ये निर्णय कांग्रेस के लिए आने वाले समय में बेहद घातक भी साबित हो सकता है।

मध्यप्रदेश में लगातार विपक्ष में बैठ रही कांग्रेस पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए तमाम जतन किए जा रहे हैं। इसके लिए संगठनात्मक गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं। कार्यकर्ताओं को भी सक्रिय किया जा रहा है। पीसीसी चीफ खुद लगातार दौरा करके बैठकें भी कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने बुधनी विधानसभा में होने वाले उपचुनाव की तैयारियों को लेकर दो बैठकें यहां भी की हैं। पहली बैठक सलकनपुर में आयोजित हुई तो वहीं दूसरी बैठक उन्होंने भैरूंदा ब्लॉक के इटावा में की। दोनों ही बैठकों को टिफिन पार्टी के साथ किया गया। इस दौरान बुधनी विधानसभा में होने वाले उपचुनाव को हर हाल में जीतने के मंत्र के साथ नेताओं, कार्यकर्ताओं को संबोधित किया गया।

जातिगत सर्वे के लिए दिए निर्देश, गुपचुप करना है –
बुधनी विधानसभा में आगामी समय में होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी तैयारियों में जुटी हुई है। इसके लिए बैठकें भी की जा रही हैं। कांग्रेस ने 30 से अधिक प्रभारी भी बनाए हैं। अब इन प्रभारियों के उपर एक-एक विधायकों को भी बैठाया जाएगा। बुधनी के प्रभारियों को अब जातिगत आधार पर सर्वे के लिए कहा गया है। इसके लिए उन्हें एक सर्वे फार्म भी दिया गया है। इसमें अलग-अलग जानकारियों के साथ में जाति का भी एक कॉलम बनाया गया है। पीसीसी द्वारा दिए गए निर्देशों में यह भी कहा गया है कि यह सर्वे कार्य गुपचुप तरीके से करना है। दरअसल जातिगत सर्वे को लेकर कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता भी एकमत नहीं दिखाई दे रहे हैं। वे इस निर्णय का अंदर ही अंदर विरोध भी करते हुए नजर आ रहे हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर वे बताते हैं कि यदि जातिगत आधार पर सर्वे होता है तो इसके भविष्य में दुष्परिणाम आएंगे। कांग्रेस पार्टी का सीधा मुकाबला भाजपा से है और भाजपा सबका साथ-सबका विकास का नारा देती है। ऐसे में पूरा माहौल एकतरफा होगा।

जातिगत सर्वे कराकर वोट बैंक पर फोकस –
कांग्रेस जातिगत आधार पर सर्वे कराकर वोट बैंक पर फोकस करना चाहती है। कांग्रेस को उपचुनाव में जीतना है, इसके लिए वह हर स्तर पर तिकड़म कर रही है। हालांकि इससे पहले छिंदवाड़ा में हुए उपचुनाव में जातीय बहुल प्रत्याशी उतारकर भी कांग्रेस को हार का ही सामना करना पड़ा। छिंदवाड़ा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ रहा है, लेकिन वे खुद भी अपना गढ़ नहीं बचा पाए। अब जातिगत सर्वे कराकर कांग्रेस जातिगत आधार पर राजनीति करना चाहती है। देश को जातियों में बांटना कोई भी नहीं चाहता है, इसलिए अब इसका विरोध भी शुरू हो गया है।

कांग्रेस कर रही जातिगत गणना की पहल –
कांग्रेस के राहुल गांधी सहित अन्य नेता लगातार कह रहे हैं कि देश में जातिगत सर्वे होना चाहिए। इस मुद्दे पर संसद में भी बहस हो चुकी है। जातिगत गणना को लेकर चुनाव के दौरान सभाओं में भी घोषणाएं की गईं, लेकिन कांग्रेस को इसके दुष्परिणाम ही भुगतने पड़े। भाजपा सबका साथ-सबका विकास और अब सबका विश्वास की बात कहती है। ऐसे में कांग्रेस के जातिगत सर्वे को लेकर लोगों में विरोध है। अब कोई नहीं चाहता कि हिन्दुस्तान को जातियों में बांटा जाए और फिर इस जातिगत आधार पर देश की राजनीति की राह खुले। सभी चाहते हैं कि देश का विकास हो, लेकिन जातिगत सर्वेक्षण के बाद देश में भी अराजकता का माहौल पैदा होने की पूरी संभावनाएं हैं।