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भाजपा संगठन चुनाव : सीहोर जिलाध्यक्ष की दौड़, दावेदारों में लगी होड़…

आधा दर्जन नेताओं की प्रबल दावेदारी, कौन पड़ेगा भारी?

सुमित शर्मा, सीहोर
9425665690
भाजपा संगठन चुनाव को लेकर कवायद जारी है। 15 दिसंबर तक मंडलों के अध्यक्ष का चुनाव होना है तो वहीं 31 दिसंबर तक जिलाध्यक्ष का चयन होना है। संगठन चुनाव को लेकर सीहोर जिले में भी बैठकों का दौर जारी है। वरिष्ठ नेताओं द्वारा रायशुमारी की जा रही है। इस दौरान जिलाध्यक्ष के लिए कई नेताओं की दावेदारी सामने आ रही है। सीहोर जिलाध्यक्ष के लिए आधा दर्जन से अधिक नेताओं की दौड़ है तो वहीं इनमें जिलाध्यक्ष पद के लिए होड़ भी लगी हुई है। अब देखना है कि इन नेताओं में कौन किस पर भारी पड़ेगा और किसको भाजपा जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलेगी।
इनकी सामने आ रही पुख्ता दावेदारी –
सीहोर जिलाध्यक्ष पद के लिए जिले के कई सक्रिय भाजपा नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। जो नेता अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं उनमें वर्तमान जिलाध्यक्ष रवि मालवीय, युवा मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश राजपूत, बुधनी के ही वरिष्ठ नेता जितेंद्र गौर, आष्टा विधानसभा के धारा सिंह पटेल, सीहोर से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नरेश मेवाड़ा, सन्नी महाजन, जसपाल सिंह अरोरा हैं। हालांकि इनके अलावा भाजपा सलकनपुर मंडल अध्यक्ष प्रेमनारायण मीणा, जिला महामंत्री लखन यादव, भैरूंदा मंडल अध्यक्ष धीरज पटेल के नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। अध्यक्ष पद को लेकर दावेदार अपने-अपने स्तर से वरिष्ठ नेताओं को भी साधने में जुटे हुए हैं। हालांकि अध्यक्ष पद का चयन वरिष्ठ नेताओं की रायशुमारी के बाद ही किया जाएगा, लेकिन इसके लिए कई नेताओं की प्रबल दावेदारी सामने आई है।
वर्ष 2019 में जिलाध्यक्ष बने थे रवि मालवीय –
भाजपा में संगठन चुनाव यूं तो प्रत्येक तीन साल में होते हैं, लेकिन इस बार यह चुनाव करीब पांच साल बाद हो रहे हैं। 2019 में भाजपा ने सीहोर में जिलाध्यक्ष की कमान रवि मालवीय के हाथों में सौंपी थी। इसके बाद कोरोनाकाल आ गया। 2022 में चुनाव होना थे, लेकिन प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव एवं फिर लोकसभा चुनाव के कारण संगठन के चुनाव लगातार आगे बढ़ते गए। रवि मालवीय ने करीब पांच वर्षों तक सीहोर में संगठन को बेहतर तरीके से चलाया। हालांकि भाजपा के संविधान में जिला कार्यकारिणी तीन वर्षों के लिए ही बनती है, लेकिन वर्तमान कार्यकारिणी ने लंबा समय निकाला। ऐसे में संभावनाएं हैं कि पार्टी इस बार जिलाध्यक्ष पद पर कोई नया नाम सामने ला सकती हैं। हालांकि वर्तमान जिलाध्यक्ष रवि मालवीय की भी इस पद के लिए दावेदारी है और यदि पार्टी चाहेगी तो उन्हें ही यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। फिलहाल मंडल अध्यक्षों के लिए रायशुमारी चल रही है।
जिलाध्यक्ष के लिए 6 साल की सक्रिय सदस्यता अनिवार्य –
भाजपा के संविधान में जिलाध्यक्ष पद के लिए कम से कम 6 साल की सक्रिय सदस्यता अनिवार्य है। अन्य पदों के लिए सदस्यता कम से कम तीन साल की अनिवार्य है। 6 साल की सक्रिय सदस्यता का क्राइटैरिया होने के कारण सीहोर से सन्नी महाजन की दावेदारी कमजोर होगी, क्योंकि भाजपा ने उन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्टी में ज्वाइन कराया है। उससे पहले वे निर्विरोध चुनाव लड़ते रहे हैं। हालांकि उनके पिताजी भाजपा के सक्रिय सदस्य थे, लेकिन सन्नी महाजन बीच में कई बार पाला बदलते रहे। इसके चलते उनकी दावेदारी कमजोर होगी। हालांकि पार्टी ने उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी के वादे के साथ ही भाजपा ज्वाइन कराई थी, लेकिन भाजपा में संविधान की भी महत्ता है, इसलिए पार्टी लाइन से हटकर कोई कार्य नहीं करेगी।
हर पहलू पर होगी नजर –
इस बार भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए हर पहलू पर नजर होगी। पार्टी किसी ऐसे नेता को यह जिम्मेदारी सौंपेगी, जो संगठन को मजबूत करने के साथ ही पार्टी के कार्यक्रमों, अभियानों को भी तेजी से पूरा करे। इस बार जो भी जिलाध्यक्ष पद पर आसीन होगा, उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी। ऐसे में जिलाध्यक्ष पद पर पार्टी किसी ऐसे नेता को मौका देगी, जो इन चुनौतियों से निपटने के साथ ही पार्टी एवं कार्यकर्ताओं से बेहतर तालमेल मिला सके एवं संगठन को नई उंचाइयां दे सके। फिलहाल आधा दर्जन से अधिक नेता जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल होकर अपने को बेहतर साबित करने में जुटे हुए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किसके माथे पर जिलाध्यक्ष पद का ताज पहनाया जाएगा।
उम्र का बंधन बनेगा राह में रोड़ा-
भाजपा संगठन चुनाव में पहले मंडल अध्यक्षों का चयन होना है। मंडल अध्यक्ष पद के लिए पार्टी द्वारा 30 से 45 वर्ष का बंधन है तो वहीं जिलाध्यक्ष पद के लिए 45 से 60 साल का क्राइटैरिया तय किया गया है। ऐसे में मंडल अध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष पद के लिए सामने आ रहे दावेदारों के लिए यह उम्र का बंधन भी रोड़ा बनेगा। दरअसल सीहोर जिले के भैरूंदा, सलकनपुर, गोपालपुर, बुधनी, आष्टा सहित अन्य मंडलों में मंडल अध्यक्ष पद के लिए इस बार कई ऐसे नेताओं ने भी दावेदारी की है, जो इस उम्र के बंधन को पार कर चुके हैं। ऐसे में इन नेताओं की दावेदारी उम्र के बंधन के सामने कमजोर साबित होगी। ऐसा ही क्राइटैरिया जिलाध्यक्ष पद में भी बाधा बनेगा।

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