आष्टा। मुख्यमंत्री के गृह जिले की आष्टा तहसील में शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की मनमानी के कारण बच्चों के भविष्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले स्कूल की भी नवीन मान्यता के लिए बीआरसी तरूण बैरागी एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारी मनोज विश्वकर्मा ने जांच के नाम पर लीपापोती कर शासन के नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों की भी अनुशंसा सीहोर कार्यालय भेज दी, जबकि ईमानदारी से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जांच की जाए तो शासन के 18 नियमों का पालन करना आवश्यक है, लेकिन अधिकांश स्कूल ऐसे हैं जो आधे भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। हद तो जब हो गई कि बीआरसी द्वारा उन स्कूलों की भी अनुशंसा की गई, जिनका न तो किरायानामा है। न निजी भवन है। न खेलकूद की सामग्री है। यहां तक कि पर्याप्त रूम, शौचालय, लाइट, पंखे, खेलकूद ग्राउंड सहित योग्य शिक्षक तक नहीं है। स्कूल संचालक अपनी मान्यता के लिए जिन शिक्षकों का बीएड, डीएड वाला बायोडाटा लगा रहे हैं वह उक्त स्कूल में पढाते ही नहीं है। केवल मान्यता के लिए ही कागजी पूर्ति के लिए ही उनका बायोडाटा लगाया जाता है। उक्त शिक्षक दूसरे स्कूलों में पढ़ाते हुए देखे जा सकते हैं। कुछ स्कूल तो ऐसे हैं, जिनके शिक्षक दूर के हैं, लेकिन स्कूल संचालक के करीबी होने के कारण उनका बायोडाटा लगाया जाता है। जबकि वो उक्त स्कूल में पढ़ाते ही नहीं हैं। तमाम खामियों के बावजूद भी अधिकांश स्कूल की नवीन मान्यता के लिए बीआरसी तरूण बैरागी ने अनुशंसा कर दी। अगर पुनः अनुशंसा की गई स्कूलों की जांच की जाए तो बीआरसी सहित अन्य कर्मचारी की सच्चाई सामने आ जाएगी।
ये कहना है-
जब इस संबंध में बीआरसी तरूण कुमार बैरागी से पूछा गया कि कितने स्कूलों की अनुशंसा की है और कितने की नहीं। तो उनका रटा रटाया जवाब था कि बीएसी मनोज विश्वकर्मा जानकारी उपलब्ध कराएंगे। जब बीएसी मनोज विश्वकर्मा से बात की तो उन्होंने जिला प्रभारी से जानकारी लेने की बात कही। उन्होेंने यहां तक कह दिया कि बीआरसी को ज्यादा जानकारी नहीं है।