सीहोर। सड़कों पर रहने को मजबूर गौवंश को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। गौवंश की सबसे बुरी स्थिति सीहोर जिलेभर सहित बुधनी विधानसभा में सबसे ज्यादा है। यहां पर गौवंश सड़कों पर रहने को मजबूर है। हालांकि अब सरकार ने इन पशुओं को लेकर एक आदेश जारी किया है, जिसमें आवारा पशुओं को निराश्रित नाम दिया गया है एवं आवारा मवेशियों के नियंत्रण हेतु एक समिति का गठन भी किया गया है। इधर सरकार के इस निर्णय को लेकर कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा है कि इनका नाम बदलने से नहीं, बल्कि काम बदलने से इनका उद्धार होगा। बुधनी विधानसभा के युवा नेता एवं विस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे विक्रम मस्ताल शर्मा ’हनुमानजी’ ने इसको लेकर अपने एक्स एकाउंट पर लिखा है कि सरकार ने होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम कर दिया, नसरूल्लागंज का नाम बदलकर भैरूंदा कर दिया, लेकिन क्या नाम बदलने से इन शहरों की स्थितियां सुधरी है। इसी तरह आवारा पशुओं को अब निराश्रित नाम दिया गया है, लेकिन क्या सिर्फ नाम बदलने से इनका उद्धार हो जाएगा। सरकार को अपने कामकाज के तरीकों में भी बदलाव करना चाहिए।
गौ भक्त गायब, जिम्मेदारों की भी लापरवाही –
सीहोर जिलेभर में जगह-जगह गायों के झुंड सड़कों पर दिख जाएंगे। ये गायें जहां लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुईं हैं तो वहीं इन गायों की भी वाहनों से मौत हो रही है। आए दिन वाहनों से टकराकर इन गायों की मौतें हो रही हैं। इतनी बड़ी संख्या में ये गायें सड़कों पर हैं, लेकिन इस समय गौ भक्तों को भी इनकी चिंता नहीं है। वे भी गायब हैं। पशुपालन विभाग सहित अन्य जिम्मदार भी बेपरवाह हैं। यही कारण है कि इन गायों को रहने के लिए स्थान नहीं मिल रहा है।
ये है सीहोर जिले में स्थिति –
पशुपालन विभाग सीहोर के पास जो आंकड़े उपलब्ध हैं उनमें जिलेभर में करीब 5 लाख 72 हजार गाय-भैंस हैं। सड़कों पर रहने वाली निराश्रित गायों, मवेशियों के लिए 19 गौशालाएं निजी संस्थाओें द्वारा संचालित की जा रही है तो वहीं कई शासकीय गौशालाएं भी हैं, लेकिन ये सभी गौशालाएं अव्यवस्थाओं का शिकार है।