आष्टा। सीहोर जिले के आष्टा में शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातक महाविद्यालय प्रबंधन ने उच्च न्यायालय के आदेश को ही हवा में उड़ाते हुए यहां अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर कर दिया। इसके बदले में नए अतिथि विद्वानों की नियुक्तियां कर दी। जबकि उच्च न्यायालय जबलपुर मध्यप्रदेश द्वारा 25 फरवरी 2022 एवं उच्च शिक्षा विभाग सतपुड़ा भवन द्वारा 23 जून 2022 को समस्त महाविद्यालयों में पत्र जारी कर सूचना दी गई थी कि नवीन अभ्यर्थी को प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाएगा, लेकिन किसी पूर्व कार्यरत अतिथि विद्वान को नए अतिथि विद्वान में बदला नहीं जाएगा। इसके बावजूद भी प्राचार्य द्वारा अड़ियल रवैया अपनाकर जनभागीदारी अतिथि विद्वान को विस्थापित कर दिया गया। दरअसल आष्टा में पूर्व शैक्षणिक सत्र में कार्यरत स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वानों को नवीन सत्र में सेवा में नहीं लिया गया है। 6 पूर्व अतिथि विद्वानों को विस्थापित कर नए अतिथि विद्वानों को आमंत्रित किया गया है। पूर्व अतिथि विद्वानों द्वारा महाविद्यालय प्राचार्य पर अड़ियल रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाते हुए बताया गया है कि महाविद्यालय प्राचार्य को 1 जुलाई से आज तक कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से सूचनाएं एव आवेदन दिए गए थे। अब अतिथि विद्वानों को मजबूरन उच्च न्यायालय की शरण में जाना पड़ा और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा रिट पिटिशन क्रमांक 22940/2022 दिनेश कुमार, देवेंद्र परमार, शैलेंद्र राजपूत विरुद्ध मध्यप्रदेश राज्य द्वारा प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग वल्लभ भवन भोपाल एवं उच्च आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग सतपुड़ा भवन आदि में पारित आदेश दिनांक 28 अक्टूबर 2022 का पालन आज दिनांक तक महाविद्यालय प्राचार्य द्वारा नहीं किया गया है। इसे लेकर पूर्व स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वानों द्वारा महाविद्यालय प्रवेश द्वार पर सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया गया। इस दौरान अतिथि विद्वानों ने बताया कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एक ओर तो एक लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं के गृह जिले में उन्हीं के अधिकारी-कर्मचारी उच्च न्यायालय के आदेश तक को मनाने को तैयार नहीं हैं। हमें तत्काल सेवा में लिया जाए अन्यथा हम माननीय उच्च न्यायालय की आगामी कार्यवाही के लिए बाध्य रहेंगे।