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सीहोर जिले में लम्पी जैसे लक्षण वाली गाय मिली, लेकिन जांच के बाद स्थिति होगी साफ

विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के दिनोें में खेती में रहने वाले कीड़ों के काटनेे से भी हो जाता है ऐसा रोग

सीहोर-रेहटी। सीहोेर जिले की रेहटी तहसील में लम्पी बीमारी जैसे लक्षण वाली एक किसान की गाय मिली हैै। गाय के सैैंपल फिलहाल भोपाल स्थित लैब में टेस्टिंग के लिए भेजे गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ होेगी कि यह बीमारी लम्पी है या फिर कोई और है। दरअसल पशु विशेेषज्ञों का कहना है कि कई बार बारिश के दिनोें मेें खेतोें में रहने वाले कुछ ऐसे कीड़े होतेे हैं, जिनके काटनेे से भी इस तरह का घाव हो जाता है। फिलहाल जांच रिपोर्ट आनेे के बाद ही स्थिति साफ होगी कि कौन सी बीमारी है।
सीहोर जिले में लम्पी बीमारी की दस्तक न हो, इसको लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने पहले ही आदेश जारी कर दिए हैैं कि सीहोर जिले में बाहरी पशुओें की एंट्री न हो। खासकर राजस्थान से आने वाले पशुओं पर पूरी तरह सेे रोक लगा दी गई है। इसके अलावा पशु मेलों पर भी रोक लगाई गई है। हालांकि रेहटी तहसील के एक किसान की गाय में लम्पी जैसे लक्षण सामने आए हैं। इसकी जानकारी लगतेे ही पशुपालन विभाग ने डॉक्टरोें की टीम भेजकर गाय के सैैंपल ले लिए हैं औैर उन्हें भोपाल स्थित लैब में जांच के लिए भेजा गया है। एक-दो दिनोें में जांच रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ होगी। फिलहाल गाय को कोरेनटाइन करवा दिया गया है।
सीहोर जिले में शुरू होेगा पशुओें कोे वैक्सीनेशन-
पशुपालन विभाग ने लम्पी बीमारी से निपटने की भी पूरी तैैयारियां कर ली है। हालांकि अभी तक सीहोर जिले में लम्पी बीमारी के लक्षण वाले पशु सामने नहीं आए हैं। फिलहाल एक मामला है, लेकिन वह भी संदिग्ध है। हालांकि सतर्कता बरतते हुए पशुपालन विभाग द्वारा वैैक्सीनेशन की खरीदी कर ली गई है और जल्द ही वैक्सीनेशन शुरू भी किया जाएगा। फिलहाल उन पशुओें को ही यह वैक्सीन लगाई जाएगी, जिनमें ऐसेे लक्षण दिखाई दे रहे हैं या वे इस बीमारी से पीड़ित हो गए होें। जिन क्षेत्रों में लम्पी बीमारी के लक्षण वाले पशु सामने आएंगे उन क्षेेत्रोें में पहले वैक्सीनेशन का कार्य किया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी तो जिलेभर में अभियान चलाकर भी वैक्सीनेशन का कार्य किया जाएगा।
डरने की नहीं, सतर्कता बरतने की जरूरत-
पशुपालन विभाग के उप संचालक एकेएस भदौरिया कहते हैैं कि लम्पी बीमारी से किसानों एवं पशुपालकों को डरने की जरूरत नहीं है। यह बीमारी पशुओें से पशुओं में फैलती है। यदि किसी पशु को लम्पी बीमारी है औैर उसे किसी मच्छर, मक्खी ने छू लिया और वह किसी दूसरे पशु पर जाकर बैठ जाए तो उसे यह बीमारी हो सकती है। लम्पी बीमारी हवा में भी नहीं फैलती है। यह बीमारी पशुओें से इंसानों में भी नहीं होती है। यदि किसानोें एवं पशुपालकों को उनके पशुओें में ऐसे लक्षण दिखाई दे तोे वे सबसे पहले अपने पशुओें को ऐसे सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करें, जहां गंदगी न हो एवं आसपास पशु भी न हो। इसके अलावा तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करके उसे जानकारी दें, ताकि समय रहते पशु की जांच कराई जा सकेे और उसे जरूरी इलाज दिया जा सके। लम्पी बीमारी से डरने की नहीं, बल्कि कुछ जरूरी सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
इधर लापरवाही भी आई सामने-
रेहटी मेें जिस किसान की गाय में लम्पी बीमारी के लक्षण सामने आए हैं वे सरकारी सिस्टम की लापरवाही से आहत भी हैं। दरअसल रेहटी के किसान कल्याण सिंह धोरी जिनकी गाय को लम्पी बीमारी के लक्षण दिखाई दिए हैं उन्होंने जब रेहटी स्थित पशु चिकित्सालय में प्रभारी डॉक्टरों को इसका बताया तो वे उनके व्यवहार से आहत हुए। इसके बाद कल्याण सिंह धोरी ने पशुपालन विभाग के टोल फ्री नंबर पर फोन लगाया तो वहां से उन्हें अन्य डॉक्टरोें की जानकारी दी गई। इससे पहले उन्होंने निजी चिकित्सकों को बुलाकर गाय का इलाज करवाया। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के ग्रह क्षेत्र मेें जिम्मेदारोें की ऐसी लापरवाही सामने आ रही है, जो उचित नहीं है। इसके लिए सख्ती बरतनी चाहिए। कल्याण सिंह धोरी का कहना है कि डॉक्टरों ने सैंपल लेकर जांच केे लिए भेजे हैं। इधर गाय को भी कोरेनटाइन कर दिया है, ताकि दूसरे मवेशी सुरक्षित रह सकें।
इनका कहना है
सीहोर जिले की रेहटी तहसील में एक गाय मेें लम्पी बीमारी जैसे लक्षण सामनेे आए हैं। इसके सैंपल लेकर जांच के लिए भोपाल भेजे गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ होगी कि यह बीमारी लम्पी है या फिर कोई अन्य बीमारी है। कई बार बारिश केे दिनोें में खेेतों में रहने वाले कुछ ऐेसे कीड़ेे भी होते हैं, जिनके काटनेे सेे इस तरह का घाव हो जाता है। हालांकि हमने सतर्कता बरतते हुए सैंपल जांच केे लिए भेजा है। हम पूरी तरह अलर्ट हैं औैर जल्द ही पशुओें कोे वैैक्सीनेशन भी शुरू करेंगे।
– एकेएस भदौैरिया, उप संचालक, पशुपालन विभाग, सीहोर

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