विचार वर्ग में हुई स्वाबलंबन पर चर्चा, स्वाबलंबी भारत अभियान के तहत हुआ आयोजन
सीहोर। स्वाबलंबी भारत अभियान के तहत एक दिवसीय विचार वर्ग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्रीय संयोजन सुधीर दाते सम्मिलित हुए। अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया एवं भारत माता व दत्तोपंत ठेंगड़ी जी चित्र पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के अरूषेन्द्र शर्मा ने स्वदेशी की विकास यात्रा का वर्णन करते हुए बताया कि पुरातन काल से ही भारत वर्ष में स्वदेशी भावना जागृत थी, लेकिन मुगलों एवं अंग्रेजों के शासन काल में धीरे-धीरे लोगों में विदेशी वस्तुओं के प्रति रूझान होता गया। आज फिर देश स्वदेशी की भावना के समझ रहा है, बल्कि उसे अपना भी रहा है जिसके सुखद परिणाम आएंगे। वहीं पंच परिवर्तन पर अपने विचार रखते हुए कुंजन झंवर ने अपने प्रेरक संबोधन में पर्यावरण, कुटुंभ प्रबोधन, समरसता के माध्यम से समाज में परिवर्तन की बात कही। कार्यक्रम में उपस्थित मातृशक्तियों से आह्वान किया कि अपने बच्चों को धर्म ग्रंथों की शिक्षा भी देना चाहिए, जिससे उनमें कुटंुब भी भावना जागृत हो़।
इसके अलावा स्वाबलंबी भारत अभियान के जिला संयोजक विनीत दुबे ने स्वाबलंबी भारत अभियान के संबध में जानकारी देते हुए बताया कि 17वीं शताब्दी के पहले तक भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, यानि भारत का हर व्यक्ति आर्थिक रूप संपन्न था। उस समय लोगों में नौकरी के प्रति लालसा नहीं थी हर व्यक्ति अपने व्यापार और उद्योग को संचालित करता था। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के दौरान उन्होंने हमारे व्यापार और उद्योग नष्ट किए बल्कि शिक्षा प्रणाली को भी प्रभावित कर लोगों को नौकरी मांगने वाला बना दिया। आज देश में अधिक बेरोजगारी को दूर करने के लिए स्वदेशी के माध्यम से स्वाबलंबन का अंगीकार करना आवश्यक हो गया है।
कार्यक्रम में विशेष रूप से पधारे कोचिंग संचालक श्री नरेन्द्र वर्मा सर ने बताया कि वे प्रति वर्ष सैकड़ों बच्चों को प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए तैयार करते हैं लेकिन दो प्रतिशत ही सरकारी नौकरी पाने में सफल हो पाते हैं। युवाओं को स्वरोजगार के प्रति भी जागरूकता लाना ही बेरजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता सुधीर दाते जी कहा कि भारत में हर साल उत्पन्न होने वाली नौकरियों की तुलना में नौकरी पाने वालों की संख्या बहुत अधिक है। इस समस्या का समाधान सिर्फ स्वरोजगार है युवाओं को नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। उन्होने 37 करोड़ स्टार्टअप वाला देश नामक पुस्तक की चर्चा करते हुए बताया कि इस पुस्तक में स्वरोजगार के अवसर तलाशने वाले युवाओं के हर प्रश्न का समाधान है। देश के युवाओं में उर्जा की कमी नहीं है बल्कि उर्जा का सकारात्मक उपयोग की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में विभाग प्रमुख हरिओम सेन, तरूण यादव, सुरेश वशिष्ठ, भारत सोनी, कुलभूषण बग्गा, प्रो.रमाकांत रिछारिया, सीए. सुमिल झंवर, एड. लखनलाल परमार, आशीष पचौरी, नवीन सोनी, दिनेश अहोरिया, विजय अतुल शर्मा, रवि राठौर, राहुल विजयवर्गीय, सिद्धार्थ राठौर, राकेश शर्मा, धर्मेन्द्र जावरिया, देवसिंह मालवीय, उषा राठौर, कृष्णा परमार, रजनी विश्वकर्मा, सुधा दुबे, फूलकुंवर मीना आदि सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक एवं विद्याथीगण मौजूद रहे।