उत्साह और आस्था के साथ मनाया जा रहा दशहरा पर्व, सुबह से नीलकंठ दर्शनों के लिए निकले लोग

सीहोर। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयदशमी यानी दशहरा पर्व आज जिले भर में बड़े ही उत्साह और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। पर्व को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है और सुबह से ही शुभ नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने का सिलसिला शुरू हो गया है। शाम को जिले भर में अधर्म के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाएगा।
नीलकंठ दर्शन की विशेष परंपरा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को साक्षात भगवान शिव के दर्शन के समान माना जाता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शुभता आती है और कष्ट दूर होते हैं. पौराणिक कथाओं क ेअनुसार समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष पीने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया था और इसीलिए उन्हें नीलकंठ कहा गया। लोकमान्यता है कि शिव स्वयं इस पक्षी के रूप में दशहरे पर विचरण करते हैं। मान्यता है कि भगवान राम को भी रावण वध पर जाने से पहले नीलकंठ के दर्शन हुए थे, जिसे शुभ शगुन माना गया। इसलिए इसके दर्शन से व्यक्ति को जीवन की बुराइयों और बाधाओं पर विजय प्राप्त होती है। वहीं नीलकंठ के दर्शन को सौभाग्य, धन और यश का भी प्रतीक माना जाता है। लोग दर्शन के बाद नीलकंठ तुम नीले रहियो… मंत्र बोलकर सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
घरों में परंपराओं का निर्वहन
इसके अलावा भी आज दशहरा पर्व पर अन्य परम्पराओं का निर्वहन होगा, जिसमें शस्त्र और वाहन पूजा भी शािमल हैं। घरों और प्रतिष्ठानों पर शस्त्रों और वाहनों की पूजा-अर्चना की जा रही है। इसी तरह एक और अनूठी परम्परा है गिलकी के भजिए। आज कई घरों में विशेष रूप से गिलकी के भजिए बनाए जा रहे हैं।
शाम को रावण दहन
शाम को जिले भर के प्रमुख मैदानों पर रावण दहन का कार्यक्रम होगा, जिसमें भगवान राम की बारात निकाली जाएगी, राम-रावण युत्र होगा तो भगवान श्री राम रावण के पुतले का दहन करेंगे। आयोजन को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा भी व्यापक तैयारियां कर रखी हैं।