सीहोर भाजपा में गुटबाजी: टीम ए-बी से नाराज नेताजी कर रहे टीम-सी तैयार!

सीहोर। सीहोर में भाजपा की राजनीति के केंद्र बिंदु रहे एक क्षत्रप के बाद अब यहां पर गुटबाजी भी देखने को मिल रही है। सीहोर में भाजपा कई धड़ों में बंट चुकी है और सभी गुट अपनी-अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में जुटे हुए हैं। सीहोर की राजनीति कभी एक क्षत्रप के इर्द-गिर्द ही घूमती रही, लेकिन अब यहां पर टीम-ए, टीम-बी के बाद अब टीम-सी का भी उदय हो रहा है। दरअसल कभी टीम बी का हिस्सा रहे एक नेताजी को टीम का साथ रास नहीं आया और अब वे टीम-सी को सक्रिय करने में जुटे हुए हैं।
यूं तो सीहोर जिले की राजनीति केंद्रीय मंत्री एवं 17 वर्षों से अधिक समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के इशारों पर ही चलती रही है। वे सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा से विधायक रहते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहे, लेकिन सीहोर जिला मुख्यालय की राजनीति की बात करें तो यहां पर एक क्षत्रप के इर्द-गिर्द ही राजनीति चलती रही, लेकिन अब सीहोर जिला मुख्यालय की राजनीति में विस्तार होने जा रहा है। बीते एक दशक तक जनप्रतिनिधि विशेष का एक क्षत्र राज रहा और उनकी मर्जी के बगैर पत्ता भी नहीं हिला। लेकिन अब एक क्षत्रीय राज कुछ कमजोर हो गया है। इसकी कमजोरी की वजह नया गुट रहा। नए गुट में राजनीति के कुछ धुरंधर शामिल हुए। इन दोनों गुटों को शहर की राजनीति में जानकारों ने ए और बी टीम नाम दिया। इन दोनों ही टीमों में शह और मात का खेल भी देखने को मिलता रहा है। शुरुआत में बी टीम लगातार ए टीम पर भारी नजर आ रही थी, लेकिन ए टीम के एक ही मास्टर स्ट्रोक ने बी टीम को पस्त कर दिया।
अभी तो पार्टी शुरू हुई है…
बी टीम से लगातार परेशान हो रही ए टीम ने अब फ्रंट पर आकर खेलना शुरू कर दिया है। नतीजतन एक मास्टर स्ट्रोक के बाद अब लगातार मास्टर स्ट्रोक मारने के मूड में ए टीम नजर आ रही है। रोचक बाद यह है कि अब बी टीम का कुनबा घटने के साथ ए टीम के कुनबे में इजाफा होने लगा है। खास बात यह है इस रोचक सियासत के बीच शहर की राजनीति में ए टीम, बी टीम के बाद अब सी टीम का भी उदय होने लगा है। दरअसल सी टीम खड़ी कर रहे नेताजी भी बी टीम का ही हिस्सा ही रहे हैं। वह बी टीम के साथ परछाई की तरह रहे, लेकिन उनके साथ घटित हो रहे हालात और मौके की नजाकत को देखते हुए उन्होंने अलग होने का निर्णय लिया। यह बात हम नहीं, बल्कि उन्हीं के समर्थक कह रहे हैं। दरअसल, यह समर्थक शहर में चौक चौराहा और दुकानों पर नेताजी की नाराजगी के किस्से बयां कर रहे हैं। बहरहाल, जो भी आगे देखते हैं कि यह गुटीय राजनीति और क्या-क्या रंग दिखाएगी…

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