
सीहोर। फसल बीमा क्लेम की मांग को लेकर सीहोर के किसान एक अनूठे और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं। पिछले चार दिनों से बीमा कंपनी के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन में किसान नारेबाजी की बजाय ढोलक और मंजीरे के साथ ‘मोदी भजन’ गाकर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।
विरोध का यह अनोखा तरीका इसलिए अपनाया गया है क्योंकि किसान बीमा कंपनियों की कार्यप्रणाली से बेहद निराश हैं। किसान नेता एमएस मेवाड़ा ने बताया कि बीमा कंपनियां सिर्फ प्रीमियम लेती हैं, लेकिन जब फसल बर्बाद होती है तो मुआवजे के नाम पर ‘झुनझुना’ थमा देती हैं। कुछ किसानों को तो मात्र 100 से 1000 रुपये का मुआवजा मिला है, जो उनके मुताबिक ऊंट के मुंह में जीरा है।
जल समाधि और बीमा कंपनी की अर्थी
मांगों को मनवाने के लिए किसान पिछले चार दिनों से सीवन और कुलासी नदी में जल सत्याग्रह कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि पिछले पांच सालों से लगातार फसलें खराब हो रही हैंए लेकिन उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला। उनका कहना है कि बैंक हर छह महीने में प्रीमियम काट लेता है, लेकिन जरूरत पडऩे पर कोई मदद नहीं मिलती। इसी गुस्से में किसानों ने बीमा कंपनी की प्रतीकात्मक अर्थी निकालकर उसे नदी में जल समाधि दे दी। किसानों का कहना है कि या तो सरकार पिछले पांच सालों का पूरा बीमा क्लेम देए या फिर बीमा प्रीमियम काटना बंद करे। किसानों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, यह आंदोलन जारी रहेगा।