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सीहोर : किसानों के विरोध के बीच रेलवे लाइन का प्रशासन करा रहा अधिग्रहण

रेलवे लाइन का किसानों द्वारा लगातार किया जा रहा है विरोध, जमीन के मुआवजे को लेकर चल रही है लड़ाई

सीहोर। इंदौर से बुधनी के लिए निकलने वाली रेलवे लाईन को लेकर किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसी कड़ी में अब प्रशासन ने सीहोर जिले के बुधनी विकासखंड के ग्राम बगवाड़ा में करीब 39 किसानों की लगभग 26 हेक्टेयर से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया है। हालांकि इसका किसानों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है, लेकिन विरोध के बीच में ही प्रशासन, पुलिस एवं राजस्व अमला जमीन खाली करा रहा है। किसानों की मांग है कि उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए और इसको लेकर लगातार उनकी लड़ाई जारी है। शनिवार को बुधनी एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी, एसडीओपी दीपक कपूर, नायब तहसीलदार संदीप गौर, भैरूंदा थाना प्रभारी घनश्याम दांगी, गोपालपुर थाना प्रभारी महेन्द्र सिंह गौड़ सहित पुलिस एवं राजस्व की टीम ने पहुंचकर किसानों की जमीनों को खाली कराया। इससे एक दिन पहले किसानों ने इसका विरोध भी किया था, लेकिन किसानों के विरोध को दरकिनार करते हुए प्रशासन जमीनें खाली करवा रहा है।


इंदौर से बुधनी तक रेलवे लाईन डलनी है। इसके लिए बड़ी संख्या में किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गई है। किसान उनकी जमीनों के अधिग्रहण को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि उनको जमीनोें का उचित मुआवजा नहीं दिया गया है। इसके लिए वे लगातार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं, एसडीएम, कलेक्टर, मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक अपनी बात ज्ञापन के माध्यम से पहुंचा चुके हैं, लेकिन उनकी नहीं सुनी जा रही है। इसी बीच प्रशासन, राजस्व विभाग एवं पुलिस का अमला किसानों के खेतों में पहुंचकर उनकी जमीनों को खाली करवा रहा है और रेलवे को सौंपा जा रहा है।

किसानों की मांग, दिया जाए उचित मुआवजा
रेलवे लाईन के लिए जिन किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गईं हैं उनकी मांग है कि उन्हें पहले उचित मुआवजा दिया जाए और उसके बाद उनकी जमीनें ली जाएं। किसानों को जो मुआवजा दिया जा रहा है प्रशासन की गाइड लाइन से दोगुना दिया जा रहा है, जबकि किसानों की जमीनों के बाजार भाव आसमान छू रहे हैं। ऐसे में वे अपनी जमीनें सरकार को नहीं देना चाहते हैं। उनकी मांग है कि उन्हें बाजार मूल्य के बराबर मुआवजा दिया जाए, ताकि वे दूसरी जगह जमीन ले सकें। कई किसान तो ऐसे हैं जिनकी पूरी की पूरी जमीनें रेलवे लाईन के लिए अधिग्रहित कर ली गईं हैं। ऐसे में अब उनके पास जमीनें ही नहीं बची हैं। जो पैसा रेलवे द्वारा दिया जा रहा है उससे वे जमीनें ही नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि बाजार मूल्य जमीनों का ज्यादा है। इससे कई किसान बिना जमीन के हो गए हैं।

जेसीबी मशीनों से बनाई नालियां –
शासन द्वारा आधा दर्जन से अधिक जेसीबी मशीनों के माध्यम से अधिग्रहित की गई जमीन में नालियां भी बनवाई जा रही हैं, ताकि किसान उसमें उपज नहीं लगा सके। शनिवार को भी जो जमीन किसानों से ली गईं हैं उनमें नालियां बनवाई गई है। अब किसान उनमें अगली फसल नहीं लगा पाएंगे। यहां बता दें कि रेलवे लाईन का काम चल रहा है। कई जगह रेलवे ने ओव्हर ब्रिज बना दिए हैं। अब काम में तेजी भी लाई जाएगी।

इनका कहना है –
इंदौर से बुधनी के बीच में रेलवे लाईन का कार्य चल रहा है। इसके लिए किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है। ग्राम बगवाड़ा के किसानों से भी जमीनें खाली कराई गईं हैं। किसानों ने इसका विरोध भी किया था, लेकिन उन्हें समझाईश दी गई है एवं पुलिस एवं राजस्व अमले की टीम के साथ में जमीनें खाली करवाकर रेलवे को सौंपी जा रही है।
मदन सिंह रघुवंशी, एसडीएम, भैरूंदा, जिला सीहोर
ग्राम बगवाड़ा में किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है। यह अधिग्रहण इंदौर से बुधनी रेलवे लाईन के लिए किया गया है। हालांकि किसानों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है, लेकिन रेलवे लाईन के लिए जमीनें जल्द से जल्द रेलवे को सौंपना है। इसके लिए पुलिस टीम एवं राजस्व टीम के साथ में मौके पर पहुंचकर जमीनें खाली कराई गईं हैं। किसानों ने शांतिपूर्वक जमीनें सौंप दी है।
दीपक कपूर, एसडीओपी, भैरूंदा, जिला-सीहोर
इंदौर से बुधनी के लिए निकलने वाली रेलवे लाइन के लिए किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है, लेकिन किसान उनकी जमीनें नहीं देना चाहते हैं। किसानों को जो मुआवजा दिया गया है वह बेहद कम दिया गया है। कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार दोगुना मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि किसानों की जमीन बाजार भाव में इससे कहीं अधिक है। ऐसे में किसानों की पुश्तैनी जमीन औने-पौने दामों में ली जा रही है। इसका लगातार विरोध किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन अपने दल-बल के दम पर किसानों की जमीनों को खाली करवाकर उन्हें जमीन विहीन बना रहा है। कई किसानों की जमीन चली गई हैं। हमारी मांग है कि पहले किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए और फिर उनकी जमीनें ली जाएं। किसान भी खुशी-खुशी जमीनें दे देंगे।
गजेंद्र सिंह जाट, अध्यक्ष, स्वराज किसान संगठन

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