कांग्रेस नेता विक्रम मस्ताल शर्मा के नेतृत्व में किसानों ने की राहुल गांधी से मुलाकात

सीहोर। बुधनी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस नेता विक्रम मस्ताल शर्मा के नेतृत्व में किसानों ने उज्जैन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की एवं किसानों की जमीनों के अधिग्रहण को लेकर समस्याएं बताई। दरअसल इंदौर से बुधनी तक रेलवे लाइन सहित इंदौर-जबलपुर नेशनल हाईवे, भारत माता परियोजना सहित अन्य राजमार्गों के लिए किसानों की जमीनें अधिग्रहित की जा रही हैं। इन जमीनों का किसानों को उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। इंदौर से बुधनी के बीच डल रही रेलवे लाइन को लेकर तो किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। ये किसान अपनी जमीनें नहीं देना चाहते हैं, लेकिन फिर भी इनकी जमीनें अधिग्रहित की गईं हैं और अब उन्हें उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। इन समस्याओं को लेकर कांग्रेस नेता विक्रम मस्ताल शर्मा के नेतृत्व में सैकड़ों किसान उज्जैन पहुंचे। उज्जैन में राहुल गांधी की यात्रा का पड़ाव था। इस दौरान उनसे मुलाकात की गई और उन्हें किसानों की समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
बुधनी विधानसभा क्षेत्र की इन समस्याओं से कराया अवगत-
कांग्रेस नेता विक्रम मस्ताल शर्मा ने बताया कि बुधनी विधानसभा क्षेत्र सहित अन्य किसानों की समस्याओं को लेकर राहुल गांधीजी को एक ज्ञापन दिया है। इसमें बताया गया है कि समस्त भू-अर्जन की कार्रवाई भू-अर्जन अधिनियम 2013 के अंतर्गत नहीं की जा रही है। नेशनल हाईवे के निर्माण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 1956 एवं रेल परियोजना के लिए रेल अधिनियम 1989 के अंतर्गत भू-अर्जन किया जा रहा है। इसके कारण किसानों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। पुराने अधिनियम किसानों के हित में नहीं थे, इसलिए वर्ष 2013 में कांग्रेस द्वारा नवीन भू-अर्जन अधिनियम लागू किया गया था, जो कि किसानों के हित में था। उन्होंने बताया कि पुराने अधिनियमों में किसानों के पास न्यायालय से प्रतिफल राशि बढ़वाने का अवसर नहीं दिया गया। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विगत 5 वर्षों में भू-अर्जित की जा रही क्षेत्र की भूमियों की गाईड लाइन 20-20 प्रतिशत लगातार 2 बार कम की है, जिसके कारण क्षेत्र की भूमि की गाइड लाइन अत्याधिक कम हो गई है और भू-अर्जन अधिकार किसानों को बाजार मूल्य के अनुसार मुआवजा न देकर गाइड लाईन के अनुसार मुआवजे का निर्धारण करते हैं, जिसके कारण किसानों को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि भू-अर्जन अधिकारियों द्वारा प्रभावित किसानों को सुनवाई का पर्याप्त अवसर भी प्रदान ना करते हुए मनमानें तरीके से भू-अर्जन की कार्रवाई की जा रही है।