
सीहोर। शहर के चर्च मैदान पर इन दिनों खेला इंडिया टीम के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। शुक्रवार की सुबह 16 सदस्यीय टीम राजधानी भोपाल के टीटी नगर स्थित स्टेडियम में होने वाली ट्रायल के लिए रवाना होगी। इस मौके पर जिला फुटबाल एसोसिएशन के कोच मनोज कन्नोजिया ने बताया कि शहर का चर्च मैदान फुटबाल का प्रसिद्ध मैदान है और यहां पर सैकड़ों की संख्या में खिलाड़ियों ने अपने शहर का नाम विश्व पटल पर रोशन किया है।
उन्होंने बताया कि दिसंबर माह में अनेक फुटबाल प्रतियोगिताओं का आयोजन मैदान पर किया जाएगा। इसके लिए करीब 80 से अधिक फुटबाल खिलाड़ी यहां पर नियमित रूप से फुटबाल की बारीकियों से अवगत हो रहे है। फुटबॉल खेलने में शरीर को काफी मेहनत करनी होती है। जब आप भागते हैं तो बॉल पर नजर बनाए रखते हैं। इससे आपके शरीर में ताकत, लम्बाई, संतुलन, सहनशीलता आदि चीजें पैदा होती हैं। फुटबॉल खेलने में दिमाग का काम भी होता है, जिससे आप दिमागी बीमारियों जैसे हाइपरटेंशन, डिप्रेशन से बचे रह सकते हैं। फुटबॉल से एकाग्रता बढ़ती है, क्विकनेस बढ़ती है, जिससे दिमाग स्वस्थ रहता है। शरीर और दिमाग के अलावा यह खेल ग्रुप में काम करना सिखाता है। उन्होंने कहा कि खेल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। यह खेल मांसपेशियों का निर्माण, प्रदर्शन में वृद्धि, समन्वय में सुधार, आत्म अनुशासन और एकाग्रता का विकास करता है। इस खेल के दौरान आप एक घंटे में 630-750 कैलोरी बर्न कर सकते हैं। यह शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है और इस प्रकार मन और दिमाग शांतिपूर्ण, तेज और बेहतर एकाग्रता के साथ सक्रिय रहता है। उन्होंने इस मौके पर खिलाड़ियों की पोजिशन के बारे में भी बताते हुए कहा कि स्ट्राइकर-इनका मुख्य कार्य गोल मारना होता है। डिफेंडर्स-अपनी विरोधी टीम के सदस्यों को गोल स्कोर करने से रोकने का कार्य डिफेंडर्स को करना होता है-मिडफिल्डर्स-विरोधी टीम से गेंद छीन कर अपने आगे खेलने वाले खिलाड़ियों को गेंद देने का कार्य मिडफिल्डर्स को करना होता हैं। गोलकीपर-गोल कीपर का काम गोल पोस्ट के सामने खड़े रहकर ही गोल होने से रोकना होता है। थ्रो-इन-इसमें गेंद पूरी तरह से रेखा पार कर जाती है. तब उस विरोधी टीम को पुरस्कार में मिलती है, जिसने गेंद को अंतिम बार छुआ होता है। गोल किक-जब गेंद पूरी तरह गोल रेखा को पार कर जाए तो गोल के बिना ही स्कोर होता है, और हमलावर द्वारा गेंद को आखिरी बार छूने के कारण बचाव करने वाले दल को पुरस्कार में किक करने का मौका मिलता है। कॉर्नर किक-जब गेंद बिना गोल के ही गोल रेखा को पार कर जाती है, और बचाव करने वाली टीम द्वारा गेंद को आखिरी बार छूने के कारण हमलावर दल को अवसर दे दिया जाता है। इनडायरेक्ट फ्री किक-यह विरोधी टीम को पुरस्कार में मिलती है, जब बिना किसी विशेष फाउल के गेंद को बाहर भेज दिया जाए और खेल रुक जाए आदि के बारे में भी कोच श्री कन्नोजिया ने जानकारी दी।