सुमित शर्मा
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राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी के सुपुत्र एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री, वरिष्ठ नेता दीपक जोशी 6 मई को कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। वे लगातार कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं। सोशल मीडिया पर उनका एक फोटो भी वायरल हुआ है, जिसमें वे कांग्रेस के पूर्व मंत्री मुकेश नायक के साथ नजर आ रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को यह बड़ा झटका लगेगा। दरअसल दीपक जोशी की भाजपा में लगातार अनदेखी की जा रही है। वे हाटपिपल्या सीट से तीन बार के विधायक रहे हैं। 2013 के विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद उन्हें शिवराज कैबिनेट में राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में दीपक जोशी को हाटपिपल्या से कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चौधरी से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 2020 में सत्ता की उठापटक के दौरान मनोज चौधरी ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। उसके बाद दीपक जोशी की लगातार अनदेखी सामने आ रही है। वे हाटपिपल्या सीट से तीन बार चुनाव जीते हैं। उससे पहले संगठन में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं, लेकिन 2018 के विधानसभा में हार के बाद से उन्हें पार्टी ने कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी। विधानसभा में हार के बाद उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन्हें किसी निगम-मंडल में स्थान देंगे, लेकिन उन्हें यहां भी एडजेस्ट नहीं किया गया। इसके बाद संगठन में भी उनको कोई स्थान नहीं दिया गया। लगातार सत्ता-संगठन की अनदेखी के बाद अब उन्होंने कांग्रेस में जाने का मन मनाया है। कांग्रेस उन्हें हाटपिपल्या से चुनाव मैदान में भी उतार सकती है। यदि ऐसा हुआ तो मनोज चौधरी और दीपक जोशी के बीच फिर से एक बार मुकाबला देखने को मिलेगा।
कैलाश जोशी के रहते मिलता रहा महत्व-
राजनीति के संत कैलाश जोशी जब तक जीवित रहे, तब तक दीपक जोशी को सत्ता-संगठन से महत्व मिलता रहा, लेकिन उनके निधन के बाद से लगातार स्थितियां बदलती रहीं। सत्ता-संगठन द्वारा लगातार उनकी अनदेखी की जा रही है। हाटपिपल्या सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को यह सीट गंवाना पड़ी, लेकिन इस बार फिर ऐसी ही स्थितियां निर्मित हो रही हैं।
तीन बार के विधायक रहे हैं दीपक जोशी-
पूर्व मंत्री दीपक जोशी हाटपिपल्या सीट से तीन बार के विधायक रहे हैं। उन्होंने सबसे पहले 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के श्यामलाल बाबूलाल को 17574 मतों से पराजित किया। इसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के राजेंद्र सिंह बागेल को हराया। इसी तरह वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र सिंह बागेल को हराया। बाद में वे शिवराज सरकार में राज्य मंत्री बने। इससे पहले वर्ष 2000 में दीपक जोशी भारतीय जनता पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष बने। वर्ष 1991 में वे बरकतुल्ला विश्वविद्यालय भोपाल की कार्यकारी परिषद के सदस्य बने। वे 1994 तक इसके सदस्य थे। वर्ष 1984 में 1 साल के लिए सरकारी हमीदिया कॉलेज भोपाल के छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। वर्ष 1983 से लगातार भारतीय जनता युवा मोर्चा की कार्यकारी समिति के सदस्य रहे हैं।