38-38 लाख की लागत से बनी गौशालाएं हो रहीं भंगार, सामान हो रहे चोरी और गौवंश सड़कों पर रहने को मजबूर
गौशालाएं तैयार होे गई, लेकिन फिर भी नहीं हो पा रहा संचालन शुरू, सीहोर जिले मेें 75 गौशालाएं हुईं थी स्वीकृत, 30 बनी, 25 कैंसिल हुईं, 20 अधर में

सुमित शर्मा, सीहोर
सड़कों पर घूमती गायों एवं उनको पनाह देने के लिए सीहोर जिले में मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के तहत 75 गौशालाओं के निर्माण की घोषणा हुईं थी। इसमें से करीब 30 गौशालाएं तो बनाई गईं हैं और 25 गौशालाएं ग्राम पंचायतोें में जगह नहीं मिलने के कारण निरस्त कर दी गईं। 20 गौशालाएं अधर में लटकी हुईं हैं। पूर्ण हो चुकी गौशालाओं में करोड़ों रूपए खर्च किए गए हैं। एक-एक गौशाला पर करीब 38-38 लाख रूपए की राशि खर्च की गई है, लेकिन अब इनमें से ग्राम पंचायत चकल्दी सहित कई ऐसी गौशालाएं हैं, जोे भंगार हो रही हैं। यहां से सामान चोरी हो रहे हैं। इनमें मूलभूत सुविधाएं बिजली, पानी भी उपलब्ध नहीं कराई गई है। ऐसे में गौवंश सड़कों पर रहने को मजबूर है।
कहते हैं कि गाय में 36 करोड़ देवी-देवताओें का वास होता है। गाय हमारी माता है, लेकिन अब इस माता को ही रखना मुश्किल कार्य हो गया है। किसान, पशुपालक जब तक गाय दूध देती है तोे उसका उपयोेग करते हैं और दूध बंद होने पर उसे घर से भगा देते हैं। ऐसा गौवंश सड़कों पर आकर बरसात, ठंड और गर्मी में भी रहने को मजबूर होता है। इसके लिए सरकार द्वारा तोे प्रयास किए गए औैर कई ग्राम पंचायतों में गौशालाओं का निर्माण करवाया गया, लेकिन अब तक इन गौशालाओें का संचालन ही शुरू नहीं हो पा रहा है। ऐसे में गौवंश सड़कों पर रहने को मजबूर हैं।
सीहोर जिले में ये है गौवंश की स्थिति-
सीहोर जिले में गाय-भैसों की संख्या करीब 5 लाख 72 हजार से अधिक है। इनमें ज्यादा संख्या गौवंश की है। भैंस पालक भी हैं, लेकिन वे दूध बंद होने पर भैसोें कोे खुला नहीं छोड़ते हैैं औैर गाय कोे दूध बंद होने पर घर से भगा देेते हैं। सीहोर जिला मुख्यालय सहित भैरूंदा, रेहटी, इछावर, बुदनी, आष्टा तहसील मुख्यालयोें सहित मुख्य मार्गोें पर स्थिति येे है कि गायें अपने छोटे-छोटेे बछड़ोें के साथ खुले में बैठी हैं। सड़कों पर बैठने के कारण कई गायों की दुर्घटनाओं में मौतेें होे रही हैैं तोे वहीं गाय केे कारण कई दो पहिया वाहन चालक भी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।
अब सख्ती से ही चलेगा काम-
गायोें कोे सुरक्षित रखना प्रत्येेक सनातनी का धर्म एवं कर्तव्य भी है, लेकिन स्थिति यह है कि किसान, पशुपालक ही गायोें का उपयोेग करने केे बाद उन्हें सड़कोें पर खुला छोड़ रहे हैं। ऐसे में अब शासन-प्रशासन की सख्ती ही स्थिति बदल सकती है। प्रशासन कोे ऐसे गौ पालकों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान करना चाहिए, जो अपने गौवंश को खुलेे में छोड़ रहे हैं। गौशालाओें के लिए भी प्रतिदिन प्रति गौवंश 20 रूपए की प्रोेत्साहन राशि का प्रावधान किया गया हैै, लेकिन फिर भी गौशालाओें का संचालन नहीं होे पा रहा हैै। सीहोेर जिले में 19 ऐेसी निजी गौशालाएं हैैं, जो गौवंश की सुरक्षा कर रही है।
गौवंश-गौशालाएं फैक्ट फाइल-
– सीहोर जिले में 5 लाख 72 हजार गाय-भैंस
– 19 गौशालाएं निजी संस्थाओें की संचालित
– 30 पूर्ण हो गई, 25 निरस्त हुई, 20 अधर में
– 20 रूपए प्रतिदिन प्रति गौवंश मिलती है प्रोत्साहन राशि
इनका कहना है-
सड़कों पर घूमतेे गौवंश की सुरक्षा को लेकर विभाग अपनेे स्तर पर हर तरह के प्रयास कर रहा है। विभाग द्वारा सीहोर सहित नगरीय क्षेत्रों में सड़कों पर रहने वाले गौवंश कोे सुरक्षित स्थान, गौशालाओं में भेजने की मुहिम चला रखी है। सीहोर मेें नगर पालिका के साथ बड़ी संख्या मेें गायोें को गौशाला में भेजा गया है। अन्य नगरीय क्षेत्रों में भी यह कार्य किया जा रहा है। सड़कों पर घूमतेे गौवंश की जिम्मेदारी प्रत्येेक नागरिक की है। सभी इसमेें सहयोग करें हमारी सभी गौ पालकों से भी ऐसी अपील है।
– एकेएस भदौरिया, उप संचालक, पशुपालन विभाग, सीहोेर