
सीहोर। हर साल की तरह शहर के बस स्टैंड स्थित गीता भवन समिति द्वारा भवन परिसर में आस्था और उत्साह के साथ गीता जयंती मनाई गई। इस मौके पर भागवत भूषण पंडित अभिषेक भारद्वाज ने गीता के 700 श्लोकों से हवन कराया। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष प्रदीप बिजोरिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। जयंती के मौके पर शहर के छावनी में रहने वाले कान्हा चौहान ने बिना देखे हुए गीता के अध्याय का धारा प्रवाह तरीके से वर्णन किया। इस मौके पर समिति के द्वारा विशेष रूप से पुरस्कार दिया गया। रविवार को मंदिर परिसर में स्थित भगवान का सुबह विशेष अभिषेक किया और दोपहर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा हवन में आहुतियां दी गई।
पंडित श्री भारद्वाज ने कहा कि एकादशी पर श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी वजह से इस तिथि को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। महाभारत में जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध की शुरूआत हो रही थी, तब अर्जुन ने श्रीकृष्ण के सामने शस्त्र रख दिए थे और कहा था कि मैं अपने ही कुल के लोगों पर प्रहार नहीं कर सकता। इसके बाद श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया और अर्जुन को मानव जीवन का महत्व बताया था। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों में मनुष्य जीवन की हर समस्या का हल छिपा है। गीता के 18 अध्याय और 700 गीता श्लोक में कर्म, धर्म, कर्मफल, मृत्यु आदि जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर मौजूद हैं। यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। गीता जयंती को हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है क्योंकि हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार गीता स्वयं एक बहुत ही पवित्र ग्रंथ है जिसे स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सुनाया था। गीता जयंती हर साल शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ भगवद गीता का जन्म हुआ था। इस दिन को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है।