कुबेरेश्वरधाम पर लाखों श्रद्धालुओं को दी जाएगी गुरु दीक्षा
- यदि आप ईश्वर के पास विश्वास लेकर पहुंचे हो तो खाली हाथ नहीं लौटोगे: पंडित प्रदीप मिश्रा
सीहोर। भगवान कभी भक्त से मेवा-मिष्ठान की लालसा नहीं रखते। वे तो बस यही चाहते हैं कि भक्त उनके लिए थोड़ा समय निकालें। यदि आप ईश्वर के पास विश्वास लेकर पहुंचे हो तो खाली हाथ नहीं लौटोगे। जब आप भगवान के लिए समय निकालते हैं। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय शिव महापुराण के अंतिम दिवस अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कही। उन्होंने यहां पर आए श्रद्धालुओं से कहा कि गौ माता हमारी मां है, वह कभी आवारा नहीं होती है, लोग कहते है गाय आवारा घूम रही है, उनकी दृष्टि आवारा हो सकती है, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने पौधा रोपण आदि के लिए श्रद्धालुओं को जागरूक किया। शनिवार को कथा के अंतिम दिवस करीब तीन लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे, इस मौके पर विठलेश सेवा समिति की ओर से व्यवस्थापक समीर शुक्ला, पंडित विनय मिश्रा आदि ने प्रसादी और पेयजल आदि की व्यवस्था की।
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि शरीर में कितने ही दुख, तकलीफ आए तो महादेव के चरणों के पास ही जाना। देवो के देव महादेव कहते हैं बहुत ज्यादा दुख आए तो जहां शिवपुराण कथा आयोजित हो, वहां जाकर शिवजी की कथा सुने। इससे सुख का अनुभव होगा। पंडित मिश्रा ने कहा कि शिवजी के स्मरण से चित्तवृत्ति को सुख का मार्ग प्रदान होता है। दुनिया का कोई भी आपके दुख को नहीं मिटाता। संपूर्ण सृष्टि में केवल देवों के देव महादेव भोलेनाथ ही आपके दुख को मिटाते हैं। अपना कर्म स्वयं करो। अंतिम समय में जो तुमने कमाया है वही तुम्हारे साथ जाएगा। जब तुम्हारे प्राण छूटेंगे सब यहीं रह जाएगा। शरीर से टूट जाना मगर मन से कभी मत टूटना। सौभाग्यशाली होती हैं वह जीव आत्माएं, जिन्हें संतों की संगत में बैठकर भगवान शिव की कथा को श्रवण करने का अवसर मिलता है। कथा यज्ञ स्थली एक ऐसा माध्यम है, जहां आकर माया में लिप्त हमारा मन कुछ समय के लिए प्रभु का चितन एवं गुणगान कर विश्राम पाता है। कल्याणकारी कथा जीने की कला सिखाती है। हमें भगवान शिव की भक्ति उनकी गाथाओं का श्रवण करना चाहिए, ताकि हमारा मानस जन्म सुखमय बन सके। अपने जीवन को सुखमय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता सती भगवान शिव के मना करने पर भी प्रजापति दक्ष के यज्ञ में पहुंची। बिना बुलाए अपने पिता के घर गईं। अपमान का सामना न करते हुए अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। शिव पुराण की कथा हमें उपदेश देती है कि जीवन साथी व अपने गुरु पर विश्वास व श्रद्धा होनी जरूरी है। बिन बुलाए मेहमान व बिना परिवार की आज्ञा से कहीं पर भी जाना शुभ नहीं होता। कथा के अंतिम दिन पंडित श्री मिश्रा ने 12 ज्योर्तिलिंग आदि का विस्तार से वर्णन किया।
सुबह नौ बजे से किया जाएगा एक दिवसीय दीक्षा समारोह
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि सात दिवसीय शिव महापुराण का समापन उत्साह के साथ हो गया है, अब रविवार की सुबह नौ बजे से लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक दिवसीय दीक्षा समारोह का आयेाजन किया जाएगा। समिति के द्वारा यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन-प्रसादी की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा 25 क्विंटल शुद्ध घी की नुक्ति का भोग लगाया जाएगा। वहीं प्रशासन ने भी अपनी ओर से सुरक्षा व्यवस्था में पर्याप्त बल लगाया गया है, यहां सीसीटीवी कैमरे से भी निगरानी रखी जा रही है, वहीं माइक से सभी को सूचित किया जा रहा है कि अपने-अपने समान जेवर की सुरक्षा स्वयं करें आदि के बारे में निरंतर जानकारी दी जाएगी। पुलिस प्रशासन ने 300 से अधिक जवान धाम पर यातायात के अलावा अन्य की जिम्मेदारी सौंपी है।