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उच्च न्यायालय इंदौर नगर निगम के 85 वार्डों का आरक्षण रद किया

इंदौर
 हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने नगर पालिक निगम के 85 वार्डों में चुनाव के लिए की गई वार्ड आरक्षण प्रक्रिया को रद कर दिया है। वार्ड आरक्षण के खिलाफ लगी याचिका में याचिकाकर्ता जयेश गुरनानी और दिलीप कौशल ने कहा था कि लंबे समय से अजा-अजजा, अन्य पिछड़ा वर्ग और अनारक्षित वर्ग के वार्ड में आरक्षण की स्थिति ही परिवर्तित नहीं की जा रही है। इससे अजा-अजजा के लिए आरक्षित वार्ड में रहने वाले अनारक्षित वर्ग के लोगों को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल पाता। वहीं अनारक्षित और अन्य पिछड़ा वर्ग के वार्ड में अजा-अजजा श्रेणी के उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ पाते।

इस याचिका पर सरकार ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कहा था कि यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में है कि वह वार्ड की आरक्षण प्रक्रिया को परिवर्तित करे या न करे। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह समानता के अधिकार का हनन है। इसके बाद कोर्ट ने वार्ड आरक्षण के लिए 6 नवंबर 2020 को जारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब किसी मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्णय एक दूसरे से विपरीत हों तो ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ही मान्य होगा।

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