
आष्टा। रविदास जयंती के उपलक्ष्य में स्थानीय बड़ा बाजार अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा की अध्यक्षता में अध्यक्ष जहूर मंसूरी द्वारा रविदासजी के चित्र के समीप दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। राष्ट्रीय एकता विकास समिति के तत्वावधान में अध्यक्ष जहूर ेंमंसूरी एवं सचिव इंदर एडवोकेट उपाध्यक्ष धर्मेंद्र रैकवाल सांस्कृतिक सचिव मोहम्मद सादिक, विक्रम एडवोकेट अजमतउल्लाह सहित समिति के लोगों ने स्वागत कर सम्मान पत्र भेंट किया गया। इस तारतम्य में रायसिंह मेवाड़ा ने कहा कि कवि सम्मेलन एवं मुशायरा पीढ़ियों से चलता आ रहा है। पहले राजा महाराजा के समय में युद्ध के बाद विश्राम के समय कवि अपनी कविता और चुटकुले सुनाकर मार्गदर्शन करते हुए मनोरंजन करते थे। उसके बाद आजादी मिली और बड़े कलमकारों के कलम वजूद में आए। मुख्य अतिथि सुशील संचेती तथा मुख्य नगर पालिका अधिकारी के एल पारसनिया राजस्व निरीक्षक मोहम्मद इसरार का सम्मान पत्र भेंट कर समिति द्वारा सम्मान किया गया। उपस्थित कविगण और शायरों ने आगरा से अनवर अमान ने जब यह शेर पढ़ा… हर तरह से मैं आजमाया गया, आइना था मैं आइना निकला एवं इन तमाम बड़े शायर और कवियों के साथ आष्टा के नाम को रोशन करने वाले जावेद ने रंजो राहत के जमाने भी गुजर जाएंगे। हम भी मर जाएंगे और आप भी मर जाएंगे। मुशायरे में एक से बढ़कर एक कवियों ने खालिद नैयर महाराष्ट्र ने गीतों की बौछार कर दी। अजीम देवासी एवं गुलरेज के बाद अनीता मुकाती बुजुर्ग शायर शमशाद जख्मी, कमलेश गुल मदन तन्हाई, राहिल रब्बानी महाराष्ट्र, किरण पांचाल, दिनेश भोपाली, ऋतुराज गुर्जर जैसे कवियों और शायरों ने सुनते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रोताओं में से आवाज लगती रही और सुनाओ और सुनाओ। उक्त मुशायरा, कवि सम्मेलन का संचालन मरहूम राहत इंदौरी के पुत्र सतलज राहत ने दौरान ए संचालन लोगों की फरमाईश पर स्वयं की। शायरी के साथ दुनिया ए अदब की धरोहर राहत इंदौरी के शेर भी श्रोताओं के हुक्म की तामील में पढ़ते हुए सफल संचालन किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से महिला जिलाध्यक्ष कांग्रेस गुलाबबाई ठाकुर, हेमलता चौहान, राजा पारख मेडीकल, शेख कुतुबउद्दीन सीहोर, मेहमूद अली, कमल सेठ बैजनाथ खामखेड़ा, अशवाक स्टार गार्डन,आमिर राशिद, शेख राजा, जितेंद्र ठाकुर, मोहम्मद इकबाल, फहीम बाबू, शेख सलमान, पूर्व पार्षद अंसार अली सहित सैकड़ों श्रोताओं ने कवियों और शायरों को सुना।