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मरीजों को मौत देने वाले इम्होटेप अस्पताल का लाइसेंस निरस्त

- लगातार सामने आ रही थी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही

सीहोर। जिले के नसरूल्लागंज तहसील मुख्यालय पर संचालित हो रहे मरीजों को मौत देने वाला इम्होटेप अस्पताल का अब लाइसेंस ही निरस्त कर दिया गया है। अस्पताल प्रबंधन की लगातार लापरवाही सामने आ रही थी। यहां पर डॉक्टरों की लापरवाही के कारण कई मरीजों की मौतें हो गर्इं। पिछले दिनों भी गर्भवती नेहा को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने नसरुल्लागंज के इम्होटेप अस्पताल में भर्ती किया था। इलाज में लापरवाही बरतने की वजह से नेहा की हालत गंभीर हो गई थी और गंभीर स्थिति में ही अस्पताल प्रबंधन ने आनन-फानन में प्रसूता नेहा को राजधानी भोपाल के लिए रेफर कर दिया था, जहां नेहा की मौत हो गई थी। इस मामले में प्रसूता की मौत से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए इंदौर-भोपाल हाईवे पर चक्काजाम कर दिया था। प्रशासन की समझाईश व कार्रवाई के आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ था। इसके बाद प्रशासन की पांच सदस्यीय टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस टीम को इम्होटेप अस्पताल में 11 खामियां मिली थी, जिसके बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है।
सीएमएचओ कार्यालय से जारी निर्देश-
कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला द्वारा जारी आदेश लिखा कि जिला स्तरीय निरीक्षण समिति डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सीहोर, डॉ. डी. बड़ोदिया विकासखंड चिकित्सा अधिकारी नसरुल्लागंज सदस्य, डॉ. मनीष सारस्वत चिकित्सा अधिकारी सदस्य द्वारा नर्सिंग होम अधिनियम 1973 तथा मप्र उपचार गृह तथा रोजोउपचार गृह संबंधी स्थापनाएं के तहत इम्होटेप नर्सिंग होम, राला नसरुल्लागंज का तीन दिसंबर 2022 को दोपहर 12.30 बजे औचक निरीक्षक किया गया। इस दौरान कई खामियां मिली थीं। जांच के बाद अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।
ये मिली थी निरीक्षण में खामियां-
– अस्पताल के मुख्य द्वार पर रैंप मापदंड अनुसार अत्याधिक ऊंचाई पर पाई गई।
– अस्पताल के आईसीयू पहुंच मार्ग सामान्य मार्ग की तरह उपयोग किया जा रहा है, जिससे आईसीयू में भर्ती मरीजों में संक्रमण फैलाने की संभावना अधिक है।
– निरीक्षण समिति द्वारा निरीक्षण के दौरान अस्पताल में संचालित जनरल वार्ड, महिला वार्ड, प्रायवेट वार्ड मापदंड के अनुरूप हवादार नहीं है।
– लेबर ओ.टी. निरीक्षण के दौरान पाया कि लेबर ओटी हेतु नियम 160 वर्ग फीट का होना आवश्यक है, किन्तु अस्पताल में लेबर ओटी 120 वर्ग फीट में संचालित है।
– बायो मेडिकल बेस्ट के डस्टबिन के ऊपर बायो मेडिकल बेस्ट निष्पादन के प्रोटोकॉल नहीं पाए गए।
– एक्स-रे कक्ष, सोनोग्राफी कक्ष एवं प्रतीक्षा कक्ष कॉमन पाया गया, जिससे यह प्रतीत होता है कि जो गर्भवती महिला सोनोग्राफी हेतु अस्पताल में भर्ती हैं उन्हें एक्स-रे रिडिएशन संक्रमण होने की अधिक संभावना है। एक्सरे कक्ष के बाहर कोई भी प्रोटोकॉल चस्पा नहीं थे।
– अस्पताल में फायर एनओसी उपलब्ध कराए जाने पर प्रोविजनल (6100005529/एफएनओसी/सीओएल/2022/3412, 12 जुलाई 2022) एनओसी उपलब्ध कराई गई है, जो नियम अनुसार वैद्य नहीं है एवं समिति को आपके अस्पताल में इमरजेंसी फायर निकासी द्वारा भी नहीं मिला।
– समिति के समक्ष अधिकारी एवं सदस्यों द्वारा अस्पताल में कार्यरत स्टॉफ से पूछे जाने पर रजनी पति संजय व अन्य स्टाफ द्वारा बताया कि आपके द्वारा उक्त कर्मचारियों को वेतन का नगर भुगतान किया जाता है, इससे प्रतीत होता है कि आपके द्वारा आपके अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों को ईएसआई एवं ईपीएफ कटोत्रा नहीं किया जाता है और न ही जमा किया जाता है, जो कि शासन के श्रम विभाग के अधिनियम का उल्लंघन है।
– समिति द्वारा पैथालॉजी का निरीक्षण करने पर पाया गया कि पैथालॉजी में जांच करने हेतु पैथालॉजिस्ट कार्यरत नहीं है। डॉ. शुभांकर बर्मन एमबीबीएस, एमएस ओबीएस एंड जीवॉयएन. द्वारा पैथालॉजी ममें जांच की जाती है, जो कि इंडियन मेडिकल काउंसिल अधिनियम 1956 के तहत दंडनीय अपराध है।
– अस्पताल में वार्ड में 15 बेड लगे पाए गए, जो कि अत्याधिक पास-पास लगे थे। ये मापदंड के अनुरूप नहीं हैं।
– निरीक्षण के दौरान अस्पताल में तीन चिकित्सक पाए गए एवं चार स्टाफ नर्स कार्यरत पाई गई, जिसमें से दो स्टाफ नर्स का नर्सिंग कॉसिंल का पंजीयन नहीं पाया गया।
इस खामियों को लेकर पत्र क्रमांक 3 द्वारा कारण बताओ पत्र जारी करते हुए एक माह का समय प्रदान करते हुए जवाब देने के लिए आदेशित किया गया था। इसके एवज में 29 दिसंबर 2022 को अस्पताल प्रबंधन द्वारा जवाब जिला कार्यालय को प्रेषित किया गया। हालांकि दिए जवाब से जिला स्तरीय निरीक्षण समिति द्वारा अवलोकन करने पर दल द्वारा अमान्य किया गया।

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