वर्ष 2026 में ग्रहों की चाल से बदल जाएगी भारत की तस्वीर, पाकिस्तान होगा मटियामेट: पं. शर्मा

सीहोर। अंग्रेजी नववर्ष 2026 भारत और विश्व के लिए बड़े बदलावों का वर्ष होने वाला है। ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों का गोचर देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और तकनीक के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा, वहीं प्राकृतिक आपदाओं और युद्ध के संकट भी गहराएंगे। बाला जी ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने आगामी वर्ष 2026 के लिए विस्तृत ज्योतिषीय विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
पंडित शर्मा के अनुसार वर्ष 2026 में बृहस्पति गुरु 2 जून तक मिथुन में रहेंगे, जिसके बाद वे अपनी उच्च राशि कर्क में प्रवेश करेंगे। राहु 5 दिसंबर को मकर में और केतु कर्क राशि में गोचर करेंगे। मंगल का गोचर धनु से मकर और फिर अन्य राशियों में होगा, जबकि शनि पूरे वर्ष मीन राशि में ही वक्री और मार्गी गति से विचरण करेंगे। मुख्य रूप से इस वर्ष शनि, गुरु, राहु, केतु और मंगल का प्रभाव सर्वाधिक रहेगा।
पाकिस्तान के साथ युद्ध के हालात
ज्योतिषीय गणना के अनुसार भारत की सुरक्षा व्यवस्था पहले से कहीं अधिक अभेद्य होगी। सीमाओं पर तारबंदी, सडक़ों का जाल और लड़ाकू विमानों की खरीदी में तेजी आएगी। पंडित शर्मा ने चेतावनी दी कि जब रौद्र संवत्सर का प्रारंभ होगा, तब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थितियां बनेंगी। बृहस्पति के प्रभाव और मंगल के गोचर के कारण पाकिस्तान को भारी क्षति का सामना करना पड़ सकता है।
ज्ञान, विज्ञान का विस्तार
राहु के शतभिषा नक्षत्र स्वयं का नक्षत्र में होने से भारत में टेक्नोलॉजी का अभूतपूर्व विस्तार होगा। मोबाइलए इंटरनेट, कंप्यूटर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग हर क्षेत्र में बढ़ेगा। अंतरिक्ष विज्ञान में भारत नई ऊंचाइयों को छुएगा। साथ ही शिक्षा और परीक्षा के पैटर्न में भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
सोना होगा महंगा, शेयर बाजार में स्थिरता
दुनिया के कई देशों में मंदी के संकेत हैंए लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल आने की संभावना है। गुरु के कर्क राशि उच्च अवस्था में जाने से सरकारी कल्याण योजनाओं, कृषि और रियल एस्टेट में सुधार होगा। निवेश के लिहाज से चांदी की तुलना में सोने के दामों में तेजी आएगी, जबकि शेयर बाजार संतुलित बना रहेगा।
न्याय व्यवस्था
बृहस्पति का गोचर लोकतांत्रिक और न्याय व्यवस्था को मजबूत करेगा। पाकिस्तान जैसे देशों में जहां सैन्य शासन के खिलाफ विद्रोह हो सकता है, वहीं भारत में न्यायपालिका और भी सशक्त होकर उभरेगी, जो शासन को निरंकुश होने से रोकेगी।
प्राकृतिक आपदाएं
पंडित शर्मा ने बताया कि वर्तमान में चल रहे कालयुक्त सिद्धार्थ संवत्सर के कारण आतंकवाद और युद्ध की घटनाएं विश्व पटल पर दिख रही हैं, लेकिन 19 मार्च 2026 से शुरू होने वाला रौद्र नाम का संवत्सर नरसंहार और प्राकृतिक विनाश के संकेत दे रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान और भूकंप जैसी आपदाएं बढ़ेंगी। खंडित वर्षा के कारण कहीं अकाल तो कहीं बाढ़ के हालात पैदा होंगे।

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