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जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री की जांच में भी अधिकारियों ने की लापरवाही, कार्यालय में बैठे-बैठे बना दिए जांच प्रतिवेदन

विधानसभा में उठा मामला तो एसडीएम ने अधिकारियों को दिए निर्देश- साक्षयों के साथ पेश करें जांच प्रतिवेदन

सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ पिपल्यामीरा में बनी जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री को लेकर लापरवाही पर लापरवाही सामने आ रही है। एक तरफ पनीर फैक्ट्री के कैमिकलयुक्त जहरीले पानी के कारण जहां आमजन गंभीर बीमारियों का शिकार होकर अपनी जान गवां रहा है, तो वहीं जानवर भी जहरीले पानी के शिकार हो रहे हैं। इतना सब होने के बाद भी इस मामले में संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्यालय में बैठे-बैठे ही जांच प्रतिवेदन बनाकर पेश कर दिए। इतने गंभीर मामले में भी अधिकारियों की यह लापरवाही सामने आई है।
जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री पर अधिकारियों की भी मेहरबानी बनी हुई है। यही कारण है कि अधिकारियों ने जांच के निर्देश के बाद भी न तो मैदान में जाकर परीक्षण किया और न ही इस मामले में शिकायतकर्ताओं एवं ग्रामवासियों की बातों को सुना। मामले का खुलासा उस समय हुआ जब यह मामला विधानसभा में ध्यानाकर्षण के दौरान गूंजा। बीते विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के नरियावली विधायक इंजीनियर प्रदीप लारिया ने ध्यानाकर्षण में जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री के मामले को उठाया था।
ग्रामीणों ने की थी शिकायत, दिए थे जांच के निर्देश-
पिपल्यामीरा स्थित जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री से निकलने वाले कैमिकलयुक्त दूषित पानी के कारण आसपास के ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीणों ने अपनी परेशानी से अवगत कराते हुए इस मामले की शिकायत एसडीएम, कलेक्टर, संभागीय कमिश्नर, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित मुख्यमंत्री तक को की थी। शिकायत के बाद भी जब कार्रवाई नहीं की गई तो ग्रामीणों ने इस मामले में धरना-प्रदर्शन भी किया था। ग्रामीणों का आरोप था कि पनीर फैक्ट्री के कारण उनके खेतों एवं गांवों के पीने के पानी के जलस्त्रोत पूरी तरह दूषित हो गए हैं। उनके खेतों की फसलें खराब हो रही है। ग्रामीणों सहित जानवर भी इसके शिकार हो रहे हैं। मामले ने तूल पकड़ा तो कलेक्टर द्वारा इसकी जांच की गई एवं संबंधित विभागों से भी जांच प्रतिवेदन बुलाए गए।
इन विभाग के जिम्मेदारों को सौंपी थी जांच-
जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री के मामले में संबंधित विभागों के जिला अधिकारियों को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीहोर, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सीहोर, कार्यपालन यंत्री म. प्र. वि. वि. कंपनी लिमिटेड सीहोर, महाप्रबंधक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क इकाई जिला सीहोर, उपसंचालक पशु चिकित्सा विभाग सीहोर, उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग सीहोर एवं क्षेत्रीय अधिकारी क्षेत्रीय कार्यालय मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जिला भोपाल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जब जांच के बाद प्रतिवेदन दिए गए तो इनमें कई खामियां पार्इं गर्इं। विधानसभा में ध्यानाकर्षण के दौरान मुद्दा उठा तो सामने आया कि अधिकारियों ने अपने-अपने कार्यालयों में बैठे-बैठे ही जांच प्रतिवेदन तैयार करके दे दिए। इस मामले में न तो तथ्यात्मक जानकारी दी गई और न ही स्थल पर जाकर साक्ष्यों का परीक्षण किया गया। इस मामले में अधिकारियों ने शिकायतकर्ताओं एवं ग्रामीणों से भी बातचीत नहीं की और न ही उन्हें सुनवाई का अवसर दिया गया।
एसडीएम सीहोर ने पत्र लिखा-
इस मामले को लेकर एसडीएम सीहोर ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे फिर से जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करें एवं स्थल पर जाकर तथ्यात्मक परीक्षण, मौका मुआयना एवं सभी संबंधितों को सुनवाई का अवसर देते हुए साक्ष्यों का प्रतिपरीक्षण कर विधि अनुसार जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।

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