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शिक्षा के साथ रोजगार नहीं बढ़ पा रहे यह सच है, लेकिन डिक्की ने स्व रोजगार की राह दिखाई : मुख्यमंत्री

दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) के मेगा बिजनेस कॉन्क्लेव में शामिल हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह

भोपाल। दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) का मेगा एससी-एसटी बिजनेस कॉन्क्लेव एंड एक्सपो का आयोजन बुधवार को रवींद्र भवन में किया गया। डिक्की का यह कॉन्क्लेव मध्य भारत में पहली बार मप्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सहयोग से संपन्न हुआ। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री, राज्य के मंत्रीगण, भारत सरकार और राज्य सरकार के अधिकारी, विशेषज्ञ, सीआईआई और फिक्की से जुड़े बड़े उद्योगपति विशेष रूप से उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री श्री चौहान देश ने प्रख्यात एससी-एसटी कारोबारियों और उद्यमियों के साथ राउंडटेबल बैठक कर उनसे चर्चा भी की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा- बाबा साहेब ने कहा था कि बिना आर्थिक प्रगति के सामाजिक सशक्तिकरण संभव नहीं है। डिक्की समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा है। रोजगार एक बड़ी समस्या है और शिक्षा के साथ नौकरियों की संख्या नहीं बढ़ पाएगी। इसे हम सब जानते हैं। इस बीच डिक्की ने रह दिखाई है कि हम रोजगार देने वाले बनें। उद्योग स्थापित करने में मप्र सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। आज एक एमओयू भी साइन हुआ है। आज जो चर्चा हुई है उसके निष्कर्ष पर हम चर्चा करेंगे। सरकार रोजगार दिवस मना रही है। युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए हमने संत रविदास ग्लोबल स्किल योजना बनाई है। इस योजना के जरिए उन्हें स्वरोजगार के लिए कर्ज भी दिया जा रहा है। मैं आज मंत्रियों की एक कमेटी बना रहा हूं, जो डिक्की के साथ मिलकर सुझावों पर कर करेगी।
डिक्की मध्यप्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. अनिल सिरवैया ने बताया कि बिजनेस कॉन्क्लेव में डिक्की और मप्र सरकार के एमएसएमई विभाग के बीच कैशल विकास को लेकर एमओयू साइन हुआ। कॉन्क्लेव में देशभर के 2000 से अधिक एससी-एसटी कारोबारी और स्टार्टअप शामिल हुए। देश के विभिन्न राज्यों से आए डिक्की के 26 बिजनेस लीडर्स ने अपनी सक्सेस स्टोरी युवा उद्यमियों के साथ साझा कीं। मध्य प्रदेश सरकार की एमएसएमई एवं स्टार्टअप नीति, स्वरोजगार के अवसर, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर, भावी पीढ़ी के लिए रोजगार के मौके, मध्यप्रदेश से निर्यात के अवसर और सामाजिक समानता जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

तहसील स्तर पर क्लस्टर के लिए प्लान बनाएं’-
ओम प्रकाश सकलेचा, एमएसएमई मंत्री मप्र सरकार न कहा कि आजादी के बाद दलित समाज के हालात इतने अच्छे नहीं थे और इस समाज ने शिक्षा से बलबूते आज यह मुकाम पाया है। जनसंघ की स्थापना का प्रेरणा वाक्य था, अंत्योदय। चाहे कोई व्यवस्था की वजह से पीछे रह गया या शिक्षा के कारण। सबका उत्थान करेंगे। हर योजना में सरकार सभी को आगे बढ़ने के मौके दे रही है। गांवों में बहुत से लोगों के पास क्षमता है, लेकिन उन्हें वातावरण प्रदान करने की जरूरत है। हर जिले में युवाओं को ट्रेनिंग देने और उनकी क्षमताएं बताने की जरूरत है। हम स्वरोजगार और एमएसएमई की नीतियों को लेकर आगे बढ़ रहे है। यह वातावरण कोरोना का बाय प्रोडक्ट है। आपको कलेक्टिव अप्रोच के साथ काम करना है। हर जिले में ऐसे कार्यक्रम होने चाहिए। मेरा सपना है कि हर जिले और तहसील में बिजनेस के लिए एक क्लस्टर बने। १० रुपए स्क्वेयर फीट में भी मैं जमीन दे दूंगा। मैं डिक्की के नेशनल प्रेसिडेंट और फाउंडर चेयरमैन से कहना चाहूंगा कि आप 3 महीने में तहसील स्तर पर क्लस्टर बनाने की योजना बताएं। हम तहसील स्तर से आत्मनिर्भर बनेंगे।
DICCI में आज एक लाख उद्यमी रजिस्टर-
फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें उद्योग खोलना है तो हौसले के साथ आगे बढ़ना होगा। हमारे उद्योग लगाने से क्षेत्र का क्या विकास होगा। रोजगार के क्या अवसर बनेंगे। इसके बारे में भी सोचा जाए। कृषि, पशुपालन, वन और सेल्फहेल्प ग्रुप के सहयोग से कार्य किया जा सकता है। डिक्की में आज एक लाख उद्यमी रजिस्टर हो चुके हैं। मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि ने कहा कि दलित समाज को आगे बढ़ाने में बाबा साहेब आंबेडकर का बड़ा योगदान रहा है। हम सभी को उनकी विरासत को आगे बढ़ाना है।
दलित समाज का मार्गदर्शक है DICCI- 
पद्मश्री रवि कुमार नर्रा, नेशनल प्रेसिडेंट डिक्की ने कहा कि आज पेट्रोल पंप लाइसेंस एससी-एसटी वर्ग के लोगों को प्रदान करने के लिए स्कीम है। ऐसी योजनाओं में आरक्षण से ही समाज में समानता का वातावरण बनेगा। अमेरिका में ब्लैक एवं व्हाइट तो भारत में कास्ट डिस्क्रिमनेशन है। आज दलित समाज में उद्यमिता की सोच की कमी है। उनके सभी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए डिक्की की शुरुआत हुई। दलित समाज को मार्गदर्शन की आवश्यकता है और यह काम डिक्की कर रही है। हमने जब कारोबार शुरू किया तो डिक्की नहीं था। हम सबने मिलकर डिक्की को बनाया है और डिक्की हमारे जैसे आप लोगों को बनाएगा। आपको डिक्की के सहयोग से बैंकों से बड़ी आसानी से लोन मिलेगा।
नौकरी की मानसिकता छोड़कर उद्यमी बनें- 
पद्मश्री मिलिंद कांबले, फाउंडर चैयरमेन DICCI ने कहा कि 17 साल पहले 2005 से शुरू हुई हमारी यात्रा आज यहां तक पहुंची है। दलित समाज में सामाजिक और राजनीति के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग हैं। लेकिन बिजनेस लीडर्स नहीं हैं। डिक्की ने बिजनेस लीडर्स तैयार करने का बीड़ा उठाया है। गुजरात के रतिभाई मकवाना आज हमारे एक बिजनेस लीडर हैं। हमने केंद्र सरकार के सहयोग से नेशनल एससी एसटी हब तैयार किया है। जहां 15 विभागों के कार्य होते हैं। ऐसे ही ऑफिस या हब हम हर राज्य में स्थापित करने का प्रयास है। ASIIM स्कीम, मुद्रा स्कीम और स्टैंडअप इंडिया योजना बनाने में डिक्की का सहयोग रहा है।
हमारे समाज में नौकरी की मानसिकता रही है। इसे बदलने की आवश्यकता है। पहले युवाओं के सामने नौकरी में जाने या राजनीतिक में जाने का विकल्प था, लेकिन डिक्की ने उन्हें उद्यमी बनने का रास्ता बताया। उद्योग के क्षेत्र में कार्य करके भी आप पद्मश्री तक पहुंच सकते हैं। डिक्की का उद्देश्य है कि हमें जॉब गिवर बनना है, टैक्स पेयर बनना है और अर्थव्यवस्था में सहयोग करना है।
सफलता की कहानियां-
डॉ. राजा नायक, नेशनल वाइस प्रेसिडेंट DICCI-
मैं जब स्कूल में था तो माता-पिता के पास फीस भरने के पैसे नहीं थे। मीडिया में मुझे लोग स्कूल ड्रॉप आउट बोलते हैं। 16 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए घर से भाग गया था। तमिलनाडु में एक मेला लगता है, वहां किलो के भाव से कपड़े मिलते हैं। हम 10 हजार रुपए लेकर बाजार गए और अंडरगारमेंट समेत अन्य शर्ट्स लेकर आए। हमने बेंगलुरु में इन्हें बॉस फैक्ट्री के बाहर दोगुने दाम में बेचा। फिर बेंगलुरु में कोल्हापुरी चप्पल 50 रु. में लेकर 100 रु. में बेच देते थे। 17 साल बाद मैं बेंगलुरु के ताज होटल में बैठ गया, हवाई चप्पल में जाकर। अगर आपके पास पैसा होता है तो कोई कुछ नहीं पूछता है। बिना पैसे के कम बिजनेस कर सकते हैं। पानीपुरी वाले को देखा होगा। वह थोड़े से पैसे लगाकर रोजाना 2 हजार रु. कमाता है। हर दलित के घर में उद्यमी होना चाहिए। कर्नाटक सरकार से डिक्की मेंबर्स ने 300 करोड़ रुपए सहायता ली है। मेरे तीनों बच्चे बिजनेस में है। मैं गरीब जरूर पैदा हुआ, लेकिन अगर गरीब ही मर गया तो ये मेरा फॉल्ट होता।

रतिलाल भाई मकवाना, अहमदाबाद –
मैं गुजरात से आता हूं। बाबा साहब मेरी प्रेरणा के स्त्रोत हैं। आजादी के बाद हमारे समाज के लिए कारोबार खड़ा करना आसान नहीं था। आज हम राजस्थान, बिहार, कर्नाटक जैसे राज्यों में प्लास्टिक आइटम और पेट्रोलियम प्रोडक्ट सप्लाई करते हैं। हमने बड़े जहाजों को डिस्मेंटल करके बेचा। युगांडा में हमने एक शुगर फैक्ट्री डाली और आज वहां 20 फैक्ट्री हैं। मेरा आप सभी से कहना है कि मेहनत करो और हिम्मत से आगे बढ़ो। मध्यप्रदेश सरकार से मेरी गुजारिश है कि दलित वर्ग के लोगों को उद्यमिता के लिए मदद करें। आप जो भी लोन लें, उसे पूरा भरना क्योंकि आगे और भी बड़े लोन लेने पड़ेंगे। अदाणी की छोड़ी सी फैक्ट्री भी हमारे पास में ही थी, शुरुआत में उसके पास कुछ नहीं था, वह भी अहमदाबाद में छोड़ा कारोबारी था। अब पॉलिटिकल सेल्टर से आगे बढ़ गए। अगर हमको भी मिलता तो हमारा बिजनेस भी ऐसे ही आगे बढ़ता।

श्री संतोष कांबले, मुंबई
मैं बड़े गरीब परिवार में पला बढ़ा हूं। माता-पिता कपड़े की थैलियां सिला करते थे। कुछ मजबूरी थी, इसलिए मैं बिजनेस में आया। जब 5 साल का था तो पिता को 5 हजार बैग का ऑर्डर मिला, हम सभी उसे बड़े लगन से पूरा करने में लगे थे, लेकिन वो ऑर्डर कैंसिल हो गया। इससे परिवार पर बड़ा संकट आ गया। फिर मैं उन बैग को स्कूल से आने के बाद स्टेशन के बाहर बेचने लगा। करीब 12 साल के कठिन परिश्रम के बाद मैं सफल उद्यमी बन गया। मुझे ग्राउंड जीरो पर सब कुछ सीखने को मिला। धीरे-धीरे पढ़ाई भी करते चला गया। जब 10वीं क्लास में आया तो मैं पिता से कहा कि क्यों न हम इन बैग को खुद बेचें। एक बार ताज होटल के पास एक ज्वैलरी शॉप में गया और अपने बैग के बारे में बताने लगा। लेकिन पहली बार निराशा हाथ लगी। फिर दो तीन ज्वैलरी शॉप के ऑर्डर मिलने लगे। एक दिन फोन आया तो पता चला कि जिस दुकान से मुझे निकाला गया था, उसी ने आज बुलाया है। आज कल्याण में मेरी फैक्ट्री है और हम दुनिया के बड़े बैग मैन्युफैक्चर्स में शामिल हैं।
ये मंत्री और सांसद हुए शामिल-
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा बिजनेस कॉन्क्लेव में राजवर्धन सिंह (उद्योग मंत्री मप्र सरकार), ओम प्रकाश सकलेचा (एमएसएमई मंत्री मप्र सरकार), प्रभुराम चौधरी (स्वास्थ्य मंत्री मप्र), फग्गन सिंह कुलस्ते (केंद्रीय राज्य मंत्री स्टील एवं ग्रामीण विकास) और सुमित्रा वाल्मीकि (सांसद, मध्यप्रदेश) शामिल हुईं।
कॉन्क्लेव में शामिल हुए 26 बड़े उद्योगपति- 
पद्मश्री मिलिंद कांबले (लातूर), पद्मश्री रवि कुमार नर्रा (हैदराबाद), संजीव दांगी (दिल्ली), डॉ. राजा नायक (बेंगलुरु), रतिलाल भाई मकवाना (अहमदाबाद), किशोर खरात, सतीश भाई परमार (अहमदाबाद), संतोष कांबले (मुंबई), सीमा मिलिंद कांबले, सुंदराजन नल्लाथंबी (पुडुचेरी), अविनाश एन. जगताप (पुणे), मुकुंद कमलाकर (पुणे), मुनमुन विश्वास, तिलक राज खिंदर (जालंधर), अशोक चौहान (जोधपुर), धनिका नायक यू. (बेंगलुरु), फकीरचंद मोघा (मुजफ्फरनगर), दसारी अरुणा (हैदराबाद), आयुषी, संतोष देवीदास खवले (मुंबई), राजेंद्र कुमार, मनोज कुमार, आदित्य ऋत्विक नर्रा, मैत्रेयी कांबले (पुणे), कमलकिशोर (कानपुर), सुरेश रामावत।
महत्वपूर्ण तथ्य- 
– मध्य प्रदेश में 38 प्रतिशत आबादी के साथ एससी-एससटी वर्ग की बड़ी उपस्थिति है। राज्य की अर्थव्यस्था में इन वर्गों की भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के प्रयास उल्लेखनीय है।
– इन प्रयासों के अनुरूप राज्य में एससी–एसटी वर्ग में उद्यमिता विकास और रोजगार के अवसरों के सृजन के लिए एक विशेष प्रोत्साहन नीति की आवश्यकता है।
– इस सन्दर्भ में अनेक राज्यों की बेस्ट प्रेक्टिसेस के आधार पर डिक्की द्वारा एक विशेष नीति क्रियान्वयन हेतु प्रस्तुत है।
2005 में रखी गई थी डिक्की की नींव-
बता दें कि दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) की स्थापना 2005 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के युवाओं और उद्यमियों के बीच उद्यमशीलता की भावना पैदा करने के लिए की गई थी, जिससे वे दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हो सकें।

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