सीहोर। राजनीति में अनुभव, प्रबंधन के साथ ईमानदारी की बात यूं तो संभव नहीं है, लेकिन सीहोर की राजनीति का जाना-पहचाना नाम जसपाल सिंह अरोरा ’ईमानदार राजनीति’ के पक्षधर रहे हैं। वे कर्मठ, जुझारू और ईमानदार राजनेता के रूप में जाने जाते हैं। वरिष्ठता के साथ उनको प्रबंधन में भी महारत हासिल है, लेकिन उनकी ईमानदारी की राजनीति उनकी राह में कई बार ’ब्रेकर’ के रूप में सामने आई है। सीहोर की राजनीति के हमेशा से एक क्षत्रप रहे जसपाल सिंह अरोरा अपनी स्पष्टता के साथ ही अनुभव एवं प्रबंधन के लिए भी जाने-पहचाने जाते हैं। जसपाल सिंह अरोरा खुद सीहोर जिला पंचायत, सीहोर नगर पालिका के अध्यक्ष रहे हैं तो वहीं उन्होंने उनकी धर्मपत्नी अमिता अरोरा को सीहोर नगर पालिका का अध्यक्ष बनवाया। इससे पहले पत्नी को जनपद सदस्य भी बनवाया। बेटी को भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया एवं जीत भी सुनिश्चित की। जसपाल सिंह अरोरा सीहोर की राजनीति का ऐसा चेहरा हैं, जो सर्वधर्म समभाव को बढ़ावा देने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी की लाइन ’सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास’ की बात करते हैं। वरिष्ठ नेता जसपाल सिंह अरोरा का राजनीतिक अनुभव लंबा हैं। वे ऐसे नेता हैं, जो पैरासूट से नहीं उतरे हैं, बल्कि उन्होंने अपनी लगन, मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने सबसे पहले डिग्री कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव लड़ा और भारी मतों से नेता चुने गए। श्री अरोरा ने छात्र-छात्राओं के हित में जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय तक कई आंदोलन किए। छात्र राजनीति से जुड़े रहे जसपाल सिंह अरोरा संगठन में भी रहे। इसके साथ ही वे सिख समाज का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। बात चाहे राजनीति की हो या फिर सामाजिक क्षेत्र की हो, हमेशा वे इसमें आगे रहते हैं। जब कनाडा में वहां की सरकार खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा दे रही थी, तब जसपाल सिंह अरोरा ने यह मुद्दा भी उठाया था और खालिस्तानी आतंकवादियों पर कार्रवाई को लेकर राजधानी में कनाडा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस दौरान भी बड़ी संख्या में सिख समाज के लोगों का हुजूम भोपाल में उमड़ा था। जब खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी दी थी, तब भी जसपाल सिंह अरोरा ने आतंकवादी पन्नू को पकड़ने के लिए एक करोड़ रूपए के ईनाम की घोषणा की थी। आतंकवादी पन्नू ने इस बौखलाहट में जसपाल सिंह अरोरा को भी जान से मारने तक की धमकी दे डाली थी, लेकिन उन्हें इन धममियों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। जसपाल सिंह अरोरा हमेशा से मुखर रहे हैं। बात चाहे देश विरोधी हो, पार्टी विरोधी हो, वे अपनी आवाज को बुलंद करते रहे हैं। पार्टी लाइन से चलना उन्हें पसंद है और वे प्रत्येक कार्यकर्ता को इसकी नसीहत भी देते हैं कि जिस पार्टी ने उन्हें इतना सब कुछ दिया उससे बाहर जाकर काम बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। जसपाल सिंह अरोरा की राजनीति हमेशा से उतार-चढ़ाव वाली रही है। वे राजनीति को सेवा मानकर काम करते हैं और यही कारण है कि उन्होंने हमेशा से आम नागरिकों के हितों की रक्षा, सामाजिक परिवर्तन के साथ सनातन धर्म को बढ़ावा दिया है। सनातन धर्म की रक्षा को लेकर वे हमेशा से मुखर रहे हैं। उनका मिलनसार स्वभाव और सदैव लोगों की मदद के लिए तत्पर रहना उन्हें राजनीति में औरों से कई मायनों में अलग बनाता है। उनके प्रदेश एवं केंद्रीय स्तर पर भी नेताओं से संबंध मधुर रहे हैं। 18 वर्षों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी बे बेहद करीबी रहे हैं तो वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी उनके संबंध छात्र राजनीति के समय से रहे हैं। जसपाल सिंह अरोरा ने राजनीति अपने उसूलों से की है और उसूलों से कभी समझौता भी नहीं किया, चाहे इसके परिणाम भी उन्हें भुगतने पड़े हों। यही कारण है कि उनकी इस स्पष्टतावादिता से सीहोर जिला सहित प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक भलीभांति परिचित है। जसपाल सिंह अरोरा ने जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए अपने काम से अपनी अलग छवि बनाई। उन्होंने जिले के गांव-गांव में पीने के पानी की सुविधाएं उपलब्ध कराई। अनेक गांवों में स्कूल भवन बनवाए और पंचायत भवनों का भी निर्माण कराया। अनेक स्कूलों में लोगों को शिक्षक के पदों पर भर्ती कराया। जब वे नगर पालिका सीहोर के अध्यक्ष बने तो उन्होंने सीहोर नगर के विकास में कोई कमी नहीं छोड़ी। नगर के चौराहों को चमकाया, सीमेंट-कांक्रीट की सड़कें बनवाईं, नगर पालिका के जर्जर भवन को भव्य बनवाया, कई दुकानों का निर्माण कराया। जब वे जिला पंचायत सीहोर के अध्यक्ष थे, तब उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष संघ का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया था। श्री अरोरा कुशल प्रबंधन में माहिर रहे हैं। यही कारण है कि श्री अरोरा ने अपनी धर्मपत्नी अमिता अरोरा को भी नगर पालिका का अध्यक्ष बनवाकर सीहोर में विकास कार्यों की कई सौगातें दीं। बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाए, कई निर्माण एवं विकास कार्य करवाए, जो आज सीहोरवासियों के लिए सुविधाजनक बने हुए हैं। अब राजनीति में अनुभव, प्रबंधन के साथ ही ईमानदारी की महत्ती जरूरत है। ऐसे में अब पार्टी नेतृत्व को भी इस पर विचार करना चाहिए।