सीहोर। आईबीएसए जूडो टोक्यो इंटरनेशनल ओपन टूर्नामेंट में शहर के भोपाल नाका के समीपस्थ मुरली के किसान परिवार में पैदा हुए जूडो के प्रतिभाशाली खिलाड़ी कपिल परमार ने लगातार क्षेत्र का नाम देश और विदेश में रोशन करने वाले भोपाल नाका के समीपस्थ मुरली के मध्यम वर्गीय किसान परिवार में पैदा हुए जूडो के प्रतिभाशाली खिलाड़ी कपिल परमार अपना शानदार प्रदर्शन करते हुए टूर्नांमेंट में गोल्ड हासिल कर क्षेत्र का नाम इंटरनेशनल स्तर पर रोशन किया है। आगामी 16 दिसंबर को शहर में आने पर क्षेत्रवासियों के द्वारा स्वागत ओर सम्मान किया जाएगा। प्रतियोगिता के दौरान सेमीफाइनल में कोरिया के खिलाड़ी और फाइनल में इंडोनेशिया के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड हासिल किया।
इस प्रतियोगिता में पूरी दुनिया के अनेक खिलाड़ी शामिल थे, लेकिन उन्होंने इस प्रदर्शन के बल पर आगामी दिनों में होने वाले ओलंपिक के लिए तीन सौ पाइंट अर्जित किए है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार गत दिनों क्षेत्रवासियों ने जापान के लिए खिलाड़ियों को रवाना किया था, आठ दिसंबर से 14 दिसंबर तक चल इस प्रतियोगिता में बुधवार को यह उपलब्धि हासिल हुई है। इन दिनों कपिल गुरु काशी यूनिवर्सिटी की ओर से खेल रहे है। उन्होंने बताया कि जापान में मेरे द्वारा अच्छा प्रदर्शन से मेरी रेकिंग में सुधार होगा और 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए तैयारियों का भी मौका मिलेगा। गत दिनों दुबई में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में शानदार खेल का प्रदर्शन करने वाले जूडो खिलाड़ी श्री परमार वैसे भी टाप टेन की लिस्ट में शामिल है और आगामी 2024 में होने वाले ओलिंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस संबंध में उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व मैं जिला प्रशासन और अन्य की मदद से वह विदेशों में जा चुके है, लेकिन इस बार उनको स्वयं ही अपने खर्च पर जापान जाने को विवश होना पड़ रहा है। वर्ल्ड चैम्पियनशिप में तो पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी सहित अन्य की मदद मिल गई थी।
गौरतलब है कि कपिल ने देश के साथ ही विदेश में भी सीहोर को नई पहचान दी है। 2019 में इंग्लैंड में आयोजित पैरा जूडो कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया था। इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में चयन 60 किग्रा वर्ग में हुआ था। जिसमें उसका पहला मैच इंग्लैंड से हुआ था। दूसरा उज्बेकिस्तान और तीसरा मुकाबला इंडिया के साथ ही हुआ जिसमें भी वह विजयी रहे। आखिरी फाइनल मुकाबला साउथ अफ्रीका के साथ हुआ। कपिल ने बताया कि दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही। साउथ अफ्रीका को हराकर गोल्ड हासिल किया है।
आंखों की रोशनी चली जाने के बाद भी हौसला बुलंद-
जूडो के प्रतिभाशाली 12 साल पहले करंट लगने के कारण बाई आंख की रोशनी चली गई थी। इसमें 80 प्रतिशत तक कम दिखाई देता है। जब एक आंख में कम दिखने लगा तो कुश्ती खेलना बंद कर दिया। इसकी जगह जूडो को चुना और राष्ट्रीय स्तर पर 23 बार खेल चुके कपिल ने पैरा जूडो कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी जगह बनाकर गोल्ड मेडल हासिल किया था। साथ ही रोज करीब 8 घंटे अभ्यास किया। पिछले 12 साल के जीवन का संघर्ष ही कपिल को इस मुकाम तक पहुंचा पाया है। कई बार नेशनल खेल चुके हैं। इस जूडो खिलाड़ी कड़े संघर्ष के बाद मौकों की कमी के कारण उनके प्रदर्शन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा और वह अपना सौ फीसदी देने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर पाऊंगा।
इस प्रतियोगिता में पूरी दुनिया के अनेक खिलाड़ी शामिल थे, लेकिन उन्होंने इस प्रदर्शन के बल पर आगामी दिनों में होने वाले ओलंपिक के लिए तीन सौ पाइंट अर्जित किए है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार गत दिनों क्षेत्रवासियों ने जापान के लिए खिलाड़ियों को रवाना किया था, आठ दिसंबर से 14 दिसंबर तक चल इस प्रतियोगिता में बुधवार को यह उपलब्धि हासिल हुई है। इन दिनों कपिल गुरु काशी यूनिवर्सिटी की ओर से खेल रहे है। उन्होंने बताया कि जापान में मेरे द्वारा अच्छा प्रदर्शन से मेरी रेकिंग में सुधार होगा और 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए तैयारियों का भी मौका मिलेगा। गत दिनों दुबई में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में शानदार खेल का प्रदर्शन करने वाले जूडो खिलाड़ी श्री परमार वैसे भी टाप टेन की लिस्ट में शामिल है और आगामी 2024 में होने वाले ओलिंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस संबंध में उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व मैं जिला प्रशासन और अन्य की मदद से वह विदेशों में जा चुके है, लेकिन इस बार उनको स्वयं ही अपने खर्च पर जापान जाने को विवश होना पड़ रहा है। वर्ल्ड चैम्पियनशिप में तो पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी सहित अन्य की मदद मिल गई थी।
गौरतलब है कि कपिल ने देश के साथ ही विदेश में भी सीहोर को नई पहचान दी है। 2019 में इंग्लैंड में आयोजित पैरा जूडो कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया था। इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में चयन 60 किग्रा वर्ग में हुआ था। जिसमें उसका पहला मैच इंग्लैंड से हुआ था। दूसरा उज्बेकिस्तान और तीसरा मुकाबला इंडिया के साथ ही हुआ जिसमें भी वह विजयी रहे। आखिरी फाइनल मुकाबला साउथ अफ्रीका के साथ हुआ। कपिल ने बताया कि दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही। साउथ अफ्रीका को हराकर गोल्ड हासिल किया है।
आंखों की रोशनी चली जाने के बाद भी हौसला बुलंद-
जूडो के प्रतिभाशाली 12 साल पहले करंट लगने के कारण बाई आंख की रोशनी चली गई थी। इसमें 80 प्रतिशत तक कम दिखाई देता है। जब एक आंख में कम दिखने लगा तो कुश्ती खेलना बंद कर दिया। इसकी जगह जूडो को चुना और राष्ट्रीय स्तर पर 23 बार खेल चुके कपिल ने पैरा जूडो कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी जगह बनाकर गोल्ड मेडल हासिल किया था। साथ ही रोज करीब 8 घंटे अभ्यास किया। पिछले 12 साल के जीवन का संघर्ष ही कपिल को इस मुकाम तक पहुंचा पाया है। कई बार नेशनल खेल चुके हैं। इस जूडो खिलाड़ी कड़े संघर्ष के बाद मौकों की कमी के कारण उनके प्रदर्शन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा और वह अपना सौ फीसदी देने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर पाऊंगा।