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मकर संक्रांति पर पतंगबाजी हमारी संस्कृति एवं परंपरा का हिस्सा है: जसपाल सिंह अरोरा

- वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने भी निभाई परंपरा, उड़ाई पतंग

सीहोर। मकर संक्रांति का पर्व सभी के लिए खुशियां लेकर आता है। इस दिन से भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन की खुशियां घरों में तिल, गुड़ के लड्डु बनाकर एवं खिलाकर मनाई जाती है। मकर संक्रांति पर पतंगबाजी करने की भी हमारी संस्कृति एवं परंपरा रही है और आज भी इस परंपरा का निर्वहन हो रहा है। ये बातें भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व जिला पंचायत, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा ने कही। वे भी मकर संक्रांति के अवसर पर शासकीय महाविद्यालय ग्राउंड पर पहुंचे एवं यहां पर हुई पतंग प्रतियोगिता में षामिल होकर पतंग भी उड़ाई। इस दौरान उन्होंने प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों की हौसलाअफजाई भी की। श्री अरोरा ने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व सनातन संस्कृति के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। इस दिन घरों में महिलाएं तिल, गुड़ के लड्डू बनाती हैं एवं पूजा-पाठ करके भोग लगाकर इन लड्डुओं को बांटा भी जाता है। यह परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है। आज भी परंपरा का निर्वहन हो रहा है और ऐसे आयोजन होना भी चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी हमारी संस्कृति एवं परंपरा का निर्वहन करती रही। इस दौरान श्री अरोरा ने प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों सहित वहां मौजूद लोगों को लड्डु खिलाकर मुंह भी मीठा कराया।
विधायक सुदेश राय ने भी की पतंगबाजी-
लिसा टॉकीज मैदान पर युवाओं और बच्चों के साथ विधायक सुदेश राय ने भी पतंग उड़ाकर मकर संक्रांति का पर्व हर्षाेल्लाह के साथ मनाया। पतंगबाजी के कार्यक्रम के दौरान विधायक सुदेश राय ने बच्चों, युवाओं को तिल गुड़ के लड्डू खिलाए तो वहीं उन्होंने मकर संक्रांति के बारे में विस्तार से भी बताया और चीनी पतंग मांझा से बचने की समझाइए भी बच्चों और युवाओं को दी। पतंगबाजी करते हुए विधायक सुदेश राय ने कहा कि मकर संक्रांति के पावन पर्व पर पतंगबाजी हमारी भारतीय परंपरा है। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं होता है और आसमान भी रंग-बिरंगा हो जाता है।

 

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