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बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण खास संयोग, भारत में नहीं दिखेगा

वैशाख माह की पूर्णिमा को विनायक पूर्णिमा भी कहते हैं। वैशाख पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा करने का विधान भी है। कूर्म जयंती भी है। श्रीकृष्ण ने इसी दिन सुदामा को इसका महत्व बताया था और तब इस पूर्णिमा के व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता दूर हुई थी। इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य किए जाते हैं। स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य डॉ. पं गणेश शर्मा ने बताया बुद्ध पूर्णिमा पर कुछ खास संयोग बन रहे हैं।
– इस बार गौतम बुद्ध की 2585वीं जयंती मनाई जाएगी।
– इस दिन रात्रि 9.37 तक स्वाति नक्षत्र रहेगा। इसके बाद विशाखा।
– इस दिन रात्रि 9.15 तक सिद्ध योग रहेगा।
– इस दिन मेष राशि में चार ग्रहों गुरु, सूर्य, बुध और राहु का संयोग रहेगा। मिथुन में मंगल शुक्र की युति और तुला के चंद्र केतु की युति रहेगी। शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे।
बुद्ध पूर्णिमा की तिथि-
– 5 मई 2023 शुक्रवार वैशाख पूर्णिमा
– पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 मई 2023 को रात्रि 11.44 बजे से।
– पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 मई 2023 को रात्रि 11.03 तक। बालाजी ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषचार्य पं सौरभ गणेश शर्मा के अनुसार इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। धरती सूर्य का सीधा और चंद्रमा धरती का उल्टा चक्कर लगा रहा है। जब चंद्रमा और सूर्य के बीच धरती आ जाती है तो धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे चंद्रमा दिखाई देना बंद हो जाता है। इसे ही चंद्रग्रहण कहते हैं। अभी 20 अप्रैल को वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण था और अब चंद्र ग्रहण लगने वाला है।
चंद्रग्रहण 2023-
साल का पहला चंद्रग्रहण 5 मई 2023 शुक्रवार के दिन रात्रि 8.45 पर पहला चंद्रग्रहण लगेगा जो उपछाया चंद्रग्रहण होगा। यह ग्रहण रात्रि 1 बजे समाप्त होगा। यह भारत में दिखाई नहीं देगा। न ही इसकी सूतक रहेगी, मंदिरों के पट भी बंद नहीं होंगे।
उपच्छाया से पहला स्पर्श काल- रात्रि 8.45 पर।
परमग्रास चंद्रग्रहण काल- रात्रि 10.53 पर।
उपच्छाया से अंतिम स्पर्श काल- रात्रि 1.00 बजे।
उपच्छाया की कुल अवधि- 04 घंटे 15 मिनट 34 सेकंड
उपच्छाया चंद्रग्रहण का परिमाण- 0.95
भारत को छोड़कर इन जगहों पर दिखाई देगा-
एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर एवं अंटार्कटिका में दिखाई देगा।
सूतक काल के नियम: हालांकि सूतककाल में घर पर रहना चाहिए। सूतक काल में खाना नहीं बनाना चाहिए। ग्रहण के बाद स्नान कर पूजा करनी चाहिए। भोजन और पानी में तुलसी डालकर ही उनका उपयोग करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को खासतौर पर नियमों का पालन करना चाहिए। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं। चंद्र ग्रहण के वक्त सूतक काल 9 घंटे पूर्व आरंभ होता है, जबकि सूर्य ग्रहण के दौरान 12 घंटे पहले होता है।
चंद्रग्रहण के उपाय-
– चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद मीठे चावल बनाकर कौवे को खिलाने से नौकरी संबंधी परेशानी दूर होती है। इससे राहु, केतु और शनि के दोष भी दूर होते हैं।
– कुंडली में चंद्रग्रहण दोष हैं तो चावल, दूध, दही, सफेद वस्त्र, मिठाई आदि दान करें।
– ग्रहण के बाद काली गाय के घी का दीपक बनाकर अखंड ज्योत जलाने से आर्थिक समस्या दूर होती है।
– दरिद्रता से मुक्ति हेतु ग्रहण के बाद स्नान कर जरूरतमंद लोगों को काला कंबल और भोजन का दान करें।
– चंद्रग्रहण के दिन एक ताला खरीदकर लाएं और उस बंद ताले को ग्रहण की रात चांद के सामने रख दें। अगले दिन ताले को किसी मंदिर में दान कर दें।
डॉ. पं गणेश शर्मा स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य
संपर्क: 9229112381

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