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मध्‍य प्रदेश का उत्कृष्ट राज्य के रूप में चुना जाना

-डॉ. मयंक चतुर्वेदी

केन्द्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा ब्यूरो द्वारा मध्यप्रदेश को सीबीआईपी अवार्ड प्रदान दिया गया है, क्‍योंकि मध्यप्रदेश को सिंचाई के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए उत्कृष्ट राज्य के रूप में चुना गया । राज्‍य ने अपनी 15 वर्षों में सिंचाई क्षमता को सात लाख हेक्टेयर से बढ़ा कर 45 लाख हेक्टेयर तक पहुँचाया है। विगत तीन वर्षों में मध्यप्रदेश पाईप प्रणाली के माध्यम से अधिकतम क्षेत्र में सिंचाई करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। निश्‍चित ही यह कोई छोटी उपलब्‍धि नहीं है। यह इसलिए कहा जा रहा है कि यहां सरकारें तो अब तक अनेक आती-जाती रहीं, लेकिन राज्‍य को खासकर किसानी के क्षेत्र में कैसे आत्‍मनिर्भर एवं लाभ का बनाया जा सकता है इसके लिए बहुत सार्थक प्रयास नहीं किए गए थे। यदि पिछली सरकारों में ये हुए होते तो बिमारु राज्‍य का टैग कभी मध्‍य प्रदेश के साथ नहीं लगता। कोई कितनी भी राजनीतिक तौर पर आलोचना कर ले, लेकिन मन से यह तो स्‍वीकारना ही होगा कि राज्‍य में हर क्षेत्र में विकास के नए-नए आयाम दिखाई दे रहे हैं, वह इसलिए ही है क्‍योंकि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार लम्‍बे समय से है। मोदी सरकार का भी धन्‍यवाद है कि 2014 से केंद्र में आने के बाद से पिछले आठ सालों में लगातार उसने मध्‍यप्रदेश के विकास को ध्‍यान में रखा है, योजनाएं बनाते समय उसकी जमीनी आवश्‍यकताओं पर पूरा ध्‍यान दिया है।  वस्‍तुत: जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि सिंचाई, पेयजल एवं उद्योगों के लिए जल-संसाधनों के अधिकतम उपयोग में मध्यप्रदेश को देश में प्रथम स्थान मिला है। यह सभी के संयुक्‍त भागीरथी प्रयासों का संयुक्‍त परिणाम है, तब एक लीडर के रूप में उनकी कही हुई बातें बहुत स्‍पष्‍ट कर देती हैं कि जो भी प्रदेश में विकास हो रहा है, वह पूरी तरह से योजनामय एवं सभी की बराबरी से सहभागिता निभाने के कारण से संभव हुआ है।
वैसे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देश की ग्रामीण आबादी के लिए ”राष्ट्रीय जल जीवन मिशन” ऐसा वरदान है जो उनकी पेयजल की कठिनाइयों को पूरी तरह दूर कर देता है । लेकिन इसमें  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विशेष रुचि लेना इसे मध्‍य प्रदेश में कहना होगा अवश्‍य महत्‍व का बना देता है।  प्रदेश की करीब सवा पांच करोड़ ग्रामीण आबादी के लिए उन्‍होंने जल जीवन मिशन में तत्काल कार्य प्रारंभ करवाए हैं । भूलना न होगा कि जब जून 2020 में ”राष्ट्रीय जल जीवन मिशन” के कार्य प्रारंभ हुए तो देश के साथ मध्य प्रदेश भी कोविड-19 के लॉकडाउन से गुजर रहा था। कोविड-19 और दो वर्षा काल के बाबजूद 20 लाख की आबादी से अधिक तक जल सुविधा पहुंचाने का वार्षिक लक्ष्य वाले 12 बड़े राज्यों में मध्य प्रदेश ने अपना प्रमुख स्थान लगातार बनाये रखा है ।
निश्‍चित ही यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्‍धी है।  इसका सुखद परिणाम यह है कि अभी हाल ही में बुरहानपुर को देश का शत-प्रतिशत ”हर घर जल” सर्टिफाइड जिला होने का प्रथम पुरस्कार राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु से प्राप्त करने में सफल रहा है। आज के आंकड़े देखें तो प्रदेश के छह हजार 800 से अधिक ग्राम शत-प्रतिशत ”हर घर जल” युक्त हो चुके हैं, इनमें से केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा सर्वाधिक सर्टिफाइड घोषित ग्रामों की संख्या मध्यप्रदेश की है। अब तक प्रदेश के 53 लाख 97 हजार 911 ग्रामीण परिवारों तक नल से जल पहुँचाया जा चुका है। प्रदेश के करीब एक करोड़ 20 लाख लक्षित ग्रामीण परिवारों में से शेष रहे परिवारों को केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित वर्ष 2024 की समय-सीमा में नल कनेक्शन से जल पहुँचाना है। यह तो हुई हर घर जल पहुंचाने की बात ।
इसी तरह आप देखें कि राज्य सरकार को लगातार सातवीं बार ‘कृषि कर्मण अवार्ड’ के अतिरिक्त कृषि अधोसंरचना निधि के सर्वाधिक उपयोग के लिये ‘बेस्ट फरफॉर्मिंग स्टेट’, मिलेट मिशन योजना में ‘बेस्ट इमर्जिंग स्टेट’ और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ‘एक्सीलेंस अवार्ड’ प्राप्त हुआ। फसल बीमा योजना का ज्‍यादा से ज्‍यादा किसान लाभ ले सकें और इसमें अपनी विभिन्न फसलों का बीमा कराने के लिये सरकार ने अधिसूचित फसल क्षेत्र का मापदंड 100 हेक्‍टेयर के स्‍थान पर 50 हेक्‍टेयर किया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के चार हजार रूयये मिला कर प्रदेश के लाखों किसानों को 10 हजार रूपये की सालाना मदद की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं में अकल्पनीय विस्तार हुआ है। आज प्रदेश में सिंचित क्षेत्र का रकबा लगभग 45 लाख हेक्टेयर तक पहुँच चुका है। वर्ष 2025 तक इसे बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। प्रदेश में दो साल में 126 नयी सिंचाई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। तवा परियोजना के कमाण्ड में जायद फसल के लिए किसानों को 89 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिल रही है। प्रदेश के बुन्देलखंड क्षेत्र में भू-जल स्तर को बढ़ाने,  पेयजल संकट को दूर करने और सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ”अटल भू-जल योजना” प्रारंभ की गई है। इस परियोजना में प्रदेश के छह जिलों के नौ विकासखण्ड के 678 ग्राम में जन-भागीदारी से जल-संवर्धन एवं भू-जल स्तर में सुधार के कार्य किए जा रहे हैं। साथ ही प्रदेश के ग्वालियर और चंबल अंचल में सिंचाई एवं पेयजल आपूर्ति के लिए श्रीमंत माधवराव सिंधिया नवीन बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना का जिक्र किया जा सकता है। परियोजना से प्रदेश के गुना, शिवपुरी और श्योपुर जिले में दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी और छह  जलाशय का निर्माण होगा। साथ ही सिंचाई, पेयजल, मछली पालन, पर्यटन एवं रोजगार के अवसर में वृद्धि होगी। क्षेत्र का भू-जल स्तर भी बढ़ेगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना की चर्चा भी यहां की जा सकती है। राज्‍य के 10 जिलों की 28 तहसील के दो हजार चालीस ग्राम इससे लाभांवित होंगे। इस राष्ट्रीय परियोजना से प्रदेश के सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र के आठ लाख ग्‍यारह हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही लगभग 41 लाख आबादी को पेयजल की सुगम आपूर्ति होगी। परियोजना से 103 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा, जिसका पूर्ण उपयोग मध्यप्रदेश करेगा। कहना होगा कि प्रदेश में भाजपानीत शिवराज सरकार के इन सभी विकासपरक कार्यों का ही यह परिणाम है कि मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य खासकर सिंचाई के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए उत्कृष्ट राज्य के रूप में चुना गया है।

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