
सीहोर। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक हालिया इंटरव्यू सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने इमरजेंसी के दौरान अपने संघर्ष के रोमांचक और प्रेरणादायक किस्से सुनाए हैं। शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि कैसे विपरीत पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद उनके विचार राष्ट्रीय हित की दिशा में मुड़े और जेल यात्रा ने उन्हें जनसेवा के लिए समर्पित कर दिया।
वायरल वीडियो के अनुसार शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मेरे पिताजी उस समय कांग्रेस में थे, पूरा परिवार कांग्रेस की पृष्ठभूमि का था, मैं पढ़ रहा था, लेकिन मेरे विचार अलग दिशा में चले। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के विरोध के चलते उन्हें पकड़ा गया।
जुल्म के आगे नहीं झुकूंगा
उन्होंने याद करते हुए कहा कि इमरजेंसी के दौरान थाने में उन्हें लठ मारे गए, जेल ले जाया गया और गहन पूछताछ की गईए लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया। उन्होंने बताया कि आधी रात के बाद एक पुलिस अधिकारी ने चाय पिलाई और प्यार से समझाने की कोशिश की, बोले तुम्हारे माता-पिता की क्या हालत होगी, गांव में सभी चिंता कर रहे होंगे, तुम क्यों चक्कर में पड़े हो, बता दो। शिवराज सिंह ने कहा मैंने कहा, मैं तो नहीं बताऊंगा।
सुबह खिलाए पोहा जलेबी
उन्होंने बताया कि सुबह उन्हें पोहा-जलेबी खिलाई गई, फिर भी उन्होंने इनकार कर दिया, तब हरीश नामक सीएसपी ने गालियां दीं और बर्फ की सिल्लियों पर सुलाने की धमकी दी। शिवराज सिंह चौहान ने बताया उस समय मैंने जो शब्द कहे, वह मुझे आज भी याद हैं। मैंने कहा इतना जुल्म मत करो, कभी हमारे दिन भी आएंगे। इस पर सीएसपी ने कहा था थूक देंगे तुम्हारी सरकार पर, कभी नहीं आने वाली, सपना मत देखो।
हथकड़ी में लगाए नारे, मिली सहानुभूति
इसके बाद उन्हें हथकड़ी लगाकर मजिस्ट्रेट पटेल साहब के घर ले जाया गया, जहां से उन्हें रिमांड पर जेल भेज दिया गया। जेल ले जाते समय पहले जीप और फिर दो सिपाहियों के साथ पैदल चलवाने का किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा, सिपाही मुझे पैदल ले जा रहे थे तब तक दोपहर का समय हो गया था और बच्चे स्कूल से अपने घर जा रहे थे। मेरे हाथों में हथकड़ी देख मुझे चोर समझ बैठे थे। इस अपमानजनक क्षण में उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए नारे लगाने शुरू किए जुल्म के आगे नहीं झुकूंगा, इंदिरा तेरी तानाशाही नहीं चलेगी। उन्होंने बताया कि उन्हें छोटा लडक़ा देखकर लोगों की सहानुभूति मिली। बस और ऑटो में भी उन्होंने नारे लगाने का सिलसिला जारी रखा और इस तरह उन्हें भोपाल सेंट्रल जेल के बैरक नंबर 6 में रखा गया।
जेल में हुआ माइन्ड सेट
शिवराज सिंह चौहान ने कहा जेल पहुंचते ही जैसे ही मैंने नारे लगाए तो अंदर से भी नारे शुरू हो गए, जो पहले से ही जेल में थे। उन्होंने कहा कि जेल में उनका दिन मजे का रहा, जहां उन्होंने खूब अध्ययन किया और किताबें पढ़ीं। उन्होंने बताया कि उसी दौरान उनका माइंड सेट हो गया कि अपने जीवन को लोगों के लिए जीना है, देश के लिए जीना है। इसी दौरान संघ से उनका गहरा परिचय हुआ और उन्हें यह विचारधारा सर्वश्रेष्ठ लगी, जो देश को ‘परम वैभव के शिखर’ पर ले जाने में सक्षम है।