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शिवालयों में नंदीदेव ने किया जल गृहण, दुग्धपान, शिव मंदिरों में उमड़े भक्तजन

देवास
शनिवार दोपहर 1 बजे के दरम्यान एकाएक जंगल में आग की तरह यह खबर फैली कि शिवालयों मे  भगवान शंकर के वाहन नंदीदेव पानी पी रहे है, दुग्धपान कर रहे है। तमाम सोशल साईट्स इस प्रकार की खबरों एवं छायाचित्रों, वीडियो से भर गये। लोग फोन लगा लगाकर एक दुसरे को सुचनाएॅ देने लगे कि नंदीदेव जल गृहण कर रहे है, दुध पी रहे है।

देखते ही देखते शिव मंदिरों में भक्तजन उमड़ पडे। महिला पुरूष से लेकर छोटे छोटे बच्चे सभी कटोरी, ग्लास, लौटे में जल, दुध भरकर, चम्मच लेकर नंदीदेव को पिलाने दौड़ पड़े।  देवास सहित जिले के कन्नौद , टोंकखुर्द, बागली सहित इन्दौर, उज्जैन, आगर, खंडवा, बड़वानी, मंदसौर, नसरूल्लागंज सहित मालवा, निमाड़ंचल सहित प्रदेश के कई स्थानों ने इस प्रकार के चमत्कार की खबरे आने लगी। छोटे छोटे बच्चे बड़जनों को फोन पर सुचना देने लगे कि मैने नंदी भगवान को चम्मच से पानी, दुध पिलाया, वह पी गए। अनेक श्रद्धालू नंदीदेव को पिलाने गाय का दुध लेकर पंहुचे।

वीडियो के माध्यम से यह भी देखने में आया कि नंदीदेव के मुख से लगी चम्मच में से दुध, जल विलुप्त भी हो रहा है। मुख के अतिरिक्त नंदीदेव की प्रतिमा से चम्मच थोड़ी भी इधर उधर  रही तो पानी या दुध विलुप्त नहीं हो रहा था। कई श्रद्धालू ऊ नम: शिवाय के साथ ही श्री शिवाय नमस्तुभ्यैं का जाप करते हुए नंदीदेव को जल, दुध पिलाते दिखाई दिये। भगवान एवं धर्म के प्रति आस्था के साथ इस प्रकार की जानकारियॉ भी सामने आयी कि भौतिक विज्ञानी मूर्ति के पानी या दूध पीने को पदार्थ विज्ञान की एक सहज प्रक्रिया बताते हैं। नंदी की प्रतिमा का जल-दूध पीना महज एक मिथक है। यह पदार्थ विज्ञान के पृष्ठ तनाव से जुड़ा विषय है, जो कि पदार्थ का एक विशेष गुण है। हर पदार्थ अपने पृष्ठीय क्षेत्रफल को न्यूनतम करना चाहता है। न्यूनतम क्षेत्रफल की प्रक्रिया में चम्मच में फैला हुआ जल या दूध पृष्ठ तनाव के कारण सिकुड़ता हुआ प्रतीत होता है।

देश ही नहीं अपितू विश्व के अन्य देशो में रहने वाले भारतीयो द्वारा भी गणेश जी को दुध पिलाएं जाने की जानकारियॉ आई थी। उस समय दुनियाभर की मीडिया ने इस चमत्कार की पुष्टि की। वैज्ञानिको ने निष्कर्ष निकालते इसे मास हाइपनोसिस अथवा साइको-मैकेनिक रिएक्शन नाम दिया। वेज्ञानिको का मत था कि  यह नेचुरल साइंस है, लेकिन उस समय वे यह नहीं बता पाए कि ऐसा नेचुरल करिश्मा पहले कभी क्यों नहीं हुआ और केवल 24 घंटे तक ही क्यों चला,  हालांकि कुछ ही समय बाद उन्होंने महसूस किया कि यह चमत्कार विज्ञान के दायरे से बाहर है। ठीक उसी प्रकार शनिवार को जिस समय सिहोर में पंडित प्रदीप मिश्रा के मुखारविन्द से छठवे दिन शिव महापुराण की कथा चल रही थी। पं. मिश्रा जी अपने प्रवचनो में कह रहे थे कि आप श्रद्धापूर्वक शिव को एक लौटा जल चढ़ाओ तो वह अवश्य धारण करेंगे। उसी समय शिव के वाहन नंदीदेव जल, दुध गृहण कर रहे थे। शिवालयों में नंदीदेव के पानी, दुध पीने की खबर  वैज्ञानिको के मतानुसार कुछ भी हो, कुछ लोगो द्वारा चाहे इसे अंधविश्वास माना जाए, लेकिन नंदीदेव को दुध पिलाने उमड़े आस्थावान श्रद्धालूओ द्वारा इसे चमत्कार ही माना जा रहा है…।

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