
सीहोर। श्रीसत्य साई तकनीकी एवं चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के तत्वावधान में स्कूल आफ एग्रीकल्चर विभाग के बैनर तले विवि के श्रीरामनाथ कपूर सभागृह में टिकाऊ खेती हेतु जैविक कृषि विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के संरक्षक डॉ. मुकेश तिवारी ने की एवं मुख्य अतिथि भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के निर्देशक डॉ. एबी सिंह थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एबी सिंह एवं कुलपति डॉ. मुकेश तिवारी ने मां सरस्तवी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण कर किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. मुकेश तिवारी ने बताया कि भारत में वर्ष 1965 से हरित क्रांति की शुरुआत हुई। इससे पूर्व देश खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। उस समय देश कि खाद्यान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमें विदेशी पर निर्भर रहना पड़ता था। ऐसे समय में देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के कुशल नेतृत्व में हरित क्रांति का सूत्रपात हुआ, तब हमें गुणवत्ता की नहीं बल्कि मात्रा की सघन आवश्यकता थी। परंतु आज हम खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में निर्यात कर रहे हैं। लिहाजा अब हमें खाद्यान्न की गुणवत्ता एवं मृदा के स्वास्थ की ओर ध्यान देना होगा और पुन परंपरागत एवं रसायन मुक्त यानि जैविक व प्राकृतिक कृषि की और लौटना होगा।